1/8/18

ई-वे बिल

E-Way Bill
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद ने वस्तुओं को एक राज्य से दूसरे राज्य ले जाने के लिए ई-वे बिल व्यवस्था को एक फरवरी 2018 से लागू करने की मंजूरी दे दी. ई-वे बिल लागू होने से सरकार के लिए टैक्स चोरी पर लगाम लगाना आसान हो जाएगा.

क्या है ई-वे बिल
अगर किसी वस्तु का एक राज्य से दूसरे राज्य या फिर राज्य के भीतर मूवमेंट होता है तो सप्लायर को ई-वे बिल जनरेट करना होगा। अहम बात यह है कि सप्लायर के लिए यह बिल उन वस्तुओं के पारगमन (ट्रांजिट) के लिए भी बनाना जरूरी होगा जो जीएसटी के दायरे में नहीं आती हैं।

क्या होता है ई-वे बिल में
इस बिल में सप्लायर, ट्रांसपोर्ट और ग्राही (Recipients) की डिटेल दी जाती है। अगर जिस गुड्स का मूवमेंट एक राज्य से दूसरे राज्य या फिर एक ही राज्य के भीतर हो रहा है और उसकी कीमत 50,000 रुपए से ज्यादा है तो सप्लायर (आपूर्तिकर्ता) को इसकी जानकरी जीएसटीएन पोर्टल में दर्ज करानी होगी।

कितनी अवधि के लिए वैलिड होता है यह बिल
यह बिल बनने के बाद कितने दिनों के लिए वैलिड होता है, यह भी निर्धारित है। अगर किसी गुड्स (वस्तु) का मूवमेंट 100 किलोमीटर तक होता है तो यह बिल सिर्फ एक दिन के लिए वैलिड (वैध) होता है। अगर इसका मूवमेंट 100 से 300 किलोमीटर के बीच होता है तो बिल 3 दिन, 300 से 500 किलोमीटर के लिए 5 दिन, 500 से 1000 किलोमीटर के लिए 10 दिन और 1000 से ज्यादा किलोमीटर के मूवमेंट पर 15 दिन के लिए मान्य होगा।

विक्रेता (seller) को देनी होगी जानकारी
इस बिल के अंतर्गत विक्रेता (वस्तु के बेचने वाला) को जानकारी देनी होगी की वो किस वस्तु को बेच रहा है, वहीं खरीदने वाले व्यक्ति को जीएसटीन पोर्टल पर जानकारी देनी होगी कि उसने या तो गुड्स को खरीद लिया है या फिर उसे रिजेक्ट कर दिया है। हालांकि अगर आप कोई जवाब नहीं देते हैं तो यह मान लिया जाएगा कि आपने वस्तु को स्वीकार कर लिया है।

एक्सीडेंट (दुर्घटना) होने की सूरत में क्या होगा
मान लीजिए जिस व्हीकल से सामान एक राज्य से दूसरे राज्य में पहुंचाया जा रहा है वह अगर किसी दुर्घटना का शिकार होता है तो इस सूरत में आपको सामान दूसरे व्हीकल में ट्रांसफर करने के बाद एक नया बिल जनरेट करना होगा।

कैसे काम करेगा ई-वे बिल
जब आप (विक्रेता) ई-वे बिल को जीएसटीएन पोर्टल पर अपलोड करेंगे तो एक यूनीक ई-वे नंबर (ईबीएन) जनरेट होगा। यह सप्लायर,ट्रांसपोर्ट और ग्राही (Recipients) तीनों के लिए होगा। एक ट्रक में कई कंपनियों का सामान: मान लीजिए अगर किसी एक ट्रक में कई कंपनियों का सामान जा रहा है तो ट्रांसपोर्टर को एक कंसालिडेटेड बिल बनाना होगा। इस बिल के अंदर सारी कंपनियों के सामान की अलगअलग डिटेल होनी चाहिए।

क्या है ई-वे बिल
ई-वे बिल के तहत 50,000 रुपए से अधिक के अमाउंट के प्रोडक्ट की राज्य या राज्य से बाहर ट्रांसपोर्टेशन या डिलीवरी के लिए सरकार को पहले ही ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के जरिए बताना होगा. इसके तहत ई-वे बिल जनरेट करना होगा जो 1 से 15 दिन तक मान्य होगा. यह मान्यता प्रोडक्ट ले जाने की दूरी के आधार पर तय होगा. मान लीजिए 100 किलोमीटर तक की दूरी के लिए 1 दिन का ई-बिल बनेगा, जबकि 1,000 किलोमीटर से अधिक की दूरी के लिए 15 दिन का ई-बिल बनेगा.

इन प्रोडक्ट्स को रखा हैं ई-वे बिल से बाहर
ई-वे बिल से कॉन्ट्रासेप्टिव, ज्युडिशियल और नॉन ज्युडिशियल स्टैंप पेपर, न्यूजपेपर, ज्वैलरी, खादी, रॉ सिल्क, इंडियन फ्लैग, ह्युमन हेयर, काजल, दिये, चेक, म्युनसिपल वेस्ट, पूजा सामग्री, एलपीजी, किरोसिन, हीटिंग एड्स और करेंसी को ई-वे बिल से बाहर रखा गया है.

इंट्रा और इंटर स्टेट ई-वे बिल
अगर आसान शब्दों में समझें तो राज्य के अंदर ही स्टॉक को ट्रांसपोर्ट करने के लिए इंट्रा स्टेट ई-वे बिल बनेगा. वहीं, राज्य के बाहर यानी अन्य राज्य में स्टॉक भेजने या मंगाने के लिए इंटर स्टेट ई-वे बिल बनवाना होगा.

कहां चाहिए और कहां लगेगा ई-वे बिल
जिस तारीख से ई-वे बिल लागू होगा उसे अलग से नोटिफाई कर दिया जाएगा.

मल्टीपल कन्साइनमेंट के लिए ट्रांसपोटर्स को कंसॉलिडेट ई-वे बिल बनवाना होगा.अगर गुड्स को एक व्हीकल से दूसरे में ट्रांसफर करना है तो ई-वे बिल की जरूरत होगी.

ई-वे बिल की जरूरत नॉन-मोटर कनवेंस, पोर्ट से ट्रांसपोर्ट होने वाले गुड्स, एयरपोर्ट, एयर कार्गो कॉम्पलेक्स और लैंड कस्टम स्टेशन के लिए जाने वाले और आने वाले गुड्स पर नहीं होगी.

1 comment:

  1. nice aapne e-bay bill ke bare mai sare confusion dur kar diye.
    write some helpful post about fb instant article.
    Independence day speech

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