8/27/17

जीएसटी रिटर्न फाइल

GST को लेकर पूरे देश में हंगामा मचा हुआ है. नया टैक्स ढांचा लागू होने के बाद अब सबसे बड़ी समस्या टैक्स रिटर्न फाइल करने की है. व्यापारी वर्ग इस बात को लेकर चिंतित हैं कि आखिर जीएसटी टैक्स रिटर्न कैसे फाइल किया जाएगा?

आपको बता दें कि जीएसटी रिटर्न भरने के लिए आपको सबसे पहले ये जानना होगा कि आपका बिजनेस किस कैटेगरी में आता है, क्योंकि जीएसटी रिटर्न के फॉर्म ट्रेडर, रिटेलर, होलसेलर और सप्लायर के लिए अलग-अलग हैं. आज हम आपको GST रिटर्न के फॉर्म और हर महीने की कुछ ऐसी खास तारीखों के बारे में बता रहे हैं, जिन डेट्स तक आपको जीएसटी फॉर्म जमा कराने होंगे.

GSTR-1
जीएसटी रूल्स के मुताबिक सप्लायर को हर महीने की 10 तारीख को यह फॉर्म भरना होगा. इस फॉर्म में सप्लायर को पिछले महीने में की गई सप्‍लाई की पूरी जानकारी देनी होगी. अगर ग्राहक को की गई सप्लाई पर 2.5 लाख रुपए से अधिक टैक्स बनता है और अगर ये सप्लाई दूसरे राज्य में की गई है तो आपको हर इनवॉइस जानकारी देनी होगी.


GSTR-2
हर महीने की 15 तारीख को यह फॉर्म भरना होगा. इसमें ट्रेडर और दुकानदार को पिछले महीने सप्‍लायर से खरीदे गए माल की जानकारी देनी होगी.

GSTR-3
यह फॉर्म ट्रेडर, दुकानदार, होलसेलर, रिटलेर को भरना होगा. इसमें पूरे महीने की सप्लाई और परचेज की डिटेल भरनी होगी. यह मंथली रिटर्न है. आप इसको तब भरेंगे जब आपका महीने का बिजनेस 20 लाख से कम होगा. ट्रेडर को हर महीने की 20 तारीख को सप्लाई और परचेज की डिटेल सरकार को देनी होगी.

GSTR-4
यह फॉर्म क्‍वार्टर के अगले महीने की 18 तारीख तक भरना होगा. इसमें मासिक 20 लाख रुपए से ज्यादा की आय होने पर कारोबारी को पूरे क्वार्टर का रिटर्न भरना होगा.

GSTR-5
यह फॉर्म भारत में ना रहने वाले, विदेश से आने वाले व्यापारियों के लिए है. इसे हर महीने की 20 तारीख को भरा जाना है.

GSTR-6
यह फॉर्म इनपुट सर्विस डिस्ट्रीब्यूटर भरेंगे. यह फॉर्म महीने के 13 तारीख को भरा जाना है. इसमें सर्विस देने वाले व्यक्ति को पूरी जानकारी GST पोर्टल पर अपलोड करनी होगी.

GSTR-7
कारोबारी को टैक्स रिटर्न फाइल करने के लिए जीएसटी में GSTR-7 फॉर्म भरना होगा. यह ट्रेडर या कारोबारी को हर महीने की 10 तारीख को भरना होगा.

GSTR-8
इस फॉर्म के जरिए ई-कॉमर्स ऑपरेटर अपनी सप्लाई का ब्योरा देंगें और टैक्स कलेक्टर अपनी टैक्स कलेक्ट की गई राशि बताएंगे. यह फॉर्म महीने के 10 तारीख भरा जाना है.

GSTR-9
इस फॉर्म को हर वह कारोबारी भरेगा जो टैक्सेबल लिमिट के दायरे में आता है.

ऐसे फाइल करें जीएसटी टैक्स

एक जुलाई से जीसएटी यानी कि वस्तु एवं सेवाकर लागू होने के बाद देश के टैक्स सिस्टम में बड़ा बदलाव हो गया है। अभी तमाम छोटे और मझोले व्यापारी वर्ग इस बात को लेकर चिंतित हैं कि आखिर जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर)के तहत टैक्स रिटर्न कैसे फाइल किया जाएगा?

बड़ी बात ये है कि नए सिस्टम का लाभ लेने के लिए सप्लायर के इनवॉइस यानि कि पक्की रसीद और टैक्स अदायगी के बीच एक रूपता यानी कि मिलान होना जरूरी है। इसके बाद ही व्यारियों को आईटीसी यानि कि इनपुट टैक्स क्रेडिट मिल सकेगा।

समय की पाबंदी
जीएसटी के नियम के मुताबिक, हर तीसरे महीने रिटर्न फाइल करना जरूरी होगा। इसके तहत हर महीने निश्चित तारीख पर जीएसटी से जुड़ी प्रक्रिया पूरी ही करनी होगी। बता दें कि जीएसटी में फ्रॉड करने पर अधिकतम 5 साल तक जेल की सजा का प्रावधान किया गया है। ऐसे में जेल जाने से बचने का यही तरीका है कि टैक्स से जुड़े सारे काम समय पर पूरे कर लिए जाएं।

किनको नोटिस
यदि अब व्यापारी टैक्स नहीं देते हैं और अपने व्यापार और आय का ब्यौरा नहीं देंगे तो उन्हें आयकर की तरफ से नोटिस का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही ब्याज, लेट फीस और पेनाल्टी आदि भी लग सकती है। पेनाल्टी से बचने के लिए पांच तारीखें अहम हैं।

10 तारीख
हर महीने की 10 तारीख व्यापारी को पिछले महीने के हर रिकॉर्ड को अगले महीने की 10 तारीख तक जीएसटी पोर्टल पर देना होगा। उदाहरण के लिए मान लीजिए आपने अगस्त महीने में जो कारोबार किया है उसे सितंबर महीने की 10 तारीख तक जीएसटी पोर्टल पर दर्ज करना होगा। अगर आप ये तारीख भूल जाते हैं तो आपको लेट फीस अदा करनी पड़ सकती है। जीएसटी-आर फॉर्म यानी कि जीएसटी रिटर्न फॉर्म में अपने वस्तुओं और सेवाओं की जानकारी दर्ज करना होगा। इसके अलावा वस्तुओं और सेवाओं पर कुल कर योग्य कीमत भी बतानी होगी। अगर ग्राहक को की गई सप्लाई पर टैक्स 2.5 लाख रुपए से अधिक बनता है और ये सप्लाई दूसरे राज्य में की गई है तो आपको हर इनवाइस यानी कि पक्की रसीद की जानकारी देनी होगी।

13 तारीख
हर महीने की 13 तारीख इनपुट सर्विस ड्रिस्टिब्यूटर (मैन्यूफैक्चरर ऑफिस) के लिए बहुत अहम है। इसमें सर्विस प्रदान करने वाले व्यक्ति को पूरी जानकारी जीएसटी पोर्टल पर अपलोड करनी होगी। इसके लिए फॉर्म जीएसटीआर-6 का प्रयोग किया जाएगा।

15 तारीख
 इस तारीख को आपने अपने सप्लायर से जितना माल खरीद है उसकी जानकारी आपको महीने की 15 तारीख को दर्ज करनी होगी। इसमें फॉर्म जीएसटीआर-2 का प्रयोग होगा।

18 तारीख
यह रिटर्न आपको खत्म हुए तिमाही के अगले महीने में भरना होगा। साथ ही ये तारीख कंपाउंड टैक्स पेयर और मासिक 20 लाख रुपए से ज्यादा की आय होने पर रिटर्न देना होगा। इसमें आपको पूरे क्वार्टर का यानि कि पूरी तिमाही का रिटर्न भरना होगा। इसमें जीएसटीआर-4 फॉर्म का प्रयोग किया जाएगा।

20 तारीख
20 तारीख सप्लायर और खरीदने वाले दोनों के लिए अहम है। इसके लिए आपको जीएसटीआर-3 फॉर्म भरना होगा। इसे आप तब भरेंगे जब आपका मंथली बिजनेस 20 लाख रुपए से कम होगा।


कितने प्रकार (Types) के  GST Return File करने होगे

 एक सामान्य टैक्सपेयर को GST में हर महीने तीन Return File करने होंगे और वर्ष के  अंत में एक return  File करना होगा| इस प्रकार एक सामान्य टैक्सपेयर को वर्ष में करीब 37 return फाइल करने होंगे|

Composition Scheme के तहत रजिस्टर्ड taxpayer ो हर तीन महीने में एक return ाइल करना होगा और वर्ष के अंत में एक Combined Return भरना होगा| इस प्रकार कम्पोजीशन स्कीम वाले टैक्सपेयर को आसानी होगी और वर्ष में केवल 5 ही फाइल करने होंगे|

जीएसटी से जुड़ी जानकारी के लिए नीचे दिए गए लिंक्स पर क्लिक करे


क्या है जीएसटी ?

जीएसटी एक अप्रत्यक्ष कर यानी इनडायरेक्ट टैक्स है. जीएसटी के तहत वस्तुओं और उत्पादों पर एक प्रकार का समान टैक्स लगाया जाता है. भारतीय संविधान के मुताबिक राज्य और केंद्र सरकारें अभी अपने-अपने हिसाब से वस्तुओं और सेवाओं पर टैक्स लगाती हैं. अगर कोई भी कंपनी हो या कारखाना. अपने उत्पाद बनाकर एक राज्य से दूसरे राज्य में बेचता है तो उसे कई तरह के टैक्स चुकाने होते हैं जिससे उत्पाद की कीमत ज्यादा बढ़ जाती है. जीएसटी लागू होने से उन उत्पादों की कीमत कम हो जाएगी.

जीएसटी किस तरह काम करेगा ?

जीएसटी में तीन अंग होंगे, पहला केंद्रीय जीएसटी ( CGST), दूसरा राज्य जीएसटी (SGST) और तीसरा इंटीग्रेटेड जीएसटी (IGST). केंद्रीय और इंटीग्रेटेड जीएसटी केंद्र लागू करेगा जबकि एसजीएसटी राज्य लागू करेगा.

CGST, SGST और IGST क्या हैं?

राज्य के भीतर माल बेचने पर CGST(central goods and service tax) तथा SGST(state goods and service tax) लगेगा. उदाहरण. यदि कोई राजस्थान का व्यक्ति राजस्थन के वयक्ति को माल बेचता है और उस वस्तु और उस वस्तु पर GST की rate18%  है तो 9%CGST तथा 9%SGST लगेगा और यदि माल राज्य के बाहर के व्यक्ति को बेचा जाता है तो 18 % की दर से IGST (Integrated Goods and Services Tax) लगेगा |

Invoice value Vs Taxable value

 ‘Invoice Value’ includes GST and ‘Taxable Value’ excludes GST (i.e. assessable value on which GST is computed).

 'इनवॉइस वैल्यू' में जीएसटी शामिल है और 'कर योग्य मूल्य' में जीएसटी शामिल नहीं है (यानी निर्धारणीय मूल्य जिस पर जीएसटी की गणना है) ।


Under GST law, taxable value is the transaction value i.e. price actually paid or payable, provided the supplier & the recipient are not related and price is the sole consideration. In most of the cases of regular normal trade, the invoice value will be the taxable value. However, to determine value of certain specific transactions, Determination of Value of Supply rules have been prescribed in CGST Rules, 2017".

जीएसटी कानून के तहत, कर योग्य मूल्य लेनदेन मूल्य है, जो वास्तव में भुगतान या देय मूल्य है, बशर्ते आपूर्तिकर्ता और प्राप्तकर्ता संबंधित नहीं हैं और मूल्य एकमात्र विचार है। नियमित सामान्य व्यापार के ज्यादातर मामलों में, चालान मान कर योग्य मूल्य होगा। हालांकि, कुछ विशेष लेनदेन के मूल्य को निर्धारित करने के लिए, आपूर्ति नियमों के मूल्य का निर्धारण सीजीएसटी नियमों, 2017 में निर्धारित किया गया है "।

क्या होता है इनपुट टैक्स क्रेडिट:

इनपुट टैक्स क्रेडिट यानी सामान बनाने वाले कारोबारियों को सरकार की तरफ से मिलने वाली छूट है. जीएसटी में सरकार ने उत्पादकों यानी सामान बनाने वालों को बड़ी राहत दी है. आपने पक्के बिल से माल खरीदने पर जो टैक्स दिया होगा उसपर इनपुट टैक्स क्रेडिट आपको जीएसटी रिटर्न भरने से मिल जाएगा। जीएसटी में इनपुट टैक्स क्रेडिट की व्यवस्था का फायदा तभी मिल सकता है जब सभी ने यानी कच्चा माल मुहैया कराने वाले से लेकर बनाने वाले और ग्राहक को माल बेचने वाले ने रजिस्ट्रेशन करा रखा हो.

उदाहरण से समझिए आपको कैसे मिलेगा इनपुट क्रेडिट:

मान लीजिए आपने 100 रुपए का कोई सामान खरीदा। इस पर 18 फीसद का यानी 18 रुपए का टैक्स लगेगा, इस हिसाब से यह रकम 118 हो गई। आपने 118 रुपए का बिल सेलर से ले लिया। मतलब आपने 18 रुपए का जीएसटी जमा कर दिया।अब अगर आप 100 रुपए का माल 200 रुपए में बेचेंगे तो 18 फीसद के हिसाब से आपके माल पर 36 रुपए का टैक्स बनेगा। तो वो ग्राहक 236 रुपए की रिसेप्ट लेगा जिसमें से 36 रुपए का (एसजीएसटी) लगा हुआ होगा।
ऐसे में रिटर्न फाइलिंग के दौरान आपकी 36 रुपए की टैक्स देनदारी बनेगी, ऐसे में आपको 18 रुपए का इनपुट क्रेडिट मिलेगा क्योंकि आप इसका भुगतान माल खरीदते वक्त कर चुके हैं।

कब मिलेगा इनपुट टैक्स क्रेडिट:
आपको इनपुट टैक्स क्रेडिट कब मिलेगा इसके लिए भी कुछ अनिवार्य शर्तें हैं। मसलन आपको इनपुट क्रेडिट तभी मिलेगा जब आपने पक्के बिल पर माल खरीदा हो। आपने जिस डीलर से माल खरीदा हो उसने सही टाइम पर, सही रिटर्न दाखिल किया हो।

कब नहीं मिलेगा रिटर्न:
अगर आपने किसी ऐस व्यक्ति से माल खरीदा है, उसने अगर रिटर्न फाइल नहीं किया है, या टैक्स का भुगतान नहीं किया है तो उस स्थिति में इनपुट टैक्स क्रेडिट का भुगतान आपको नहीं किया जाएगा। ऐसे में अगर आपने पहले से ही क्रेडिट ले रखा है तो इस सूरत में आपको इसे ब्याज समेत वापस भी लौटाना होगा।


जानिए रिवर्स चार्ज क्या है?

रिवर्स चार्ज का मतलब है कि टैक्स चुकाने की जिम्मेदारी सामान और सर्विसेज लेने वालों पर होगी. इसमें सामान और सेवा देने वालों पर टैक्स देने की जिम्मेदारी नहीं


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