एंड्रॉयड
मोबाइल फोन की दुनिया का सबसे तेजी से प्रगसति करता आपरेटिंग सिस्टबम है। जिसे
गूगल द्वारा 2009 में मोबाइल फोन और टेबलेट के लिये बनाया था। यह पूरी तरह से नि शुल्क
है और यदि आप चाहें तो इसे यहॉ क्लिक कर डाउनलोड कर सकते हैं। गूगल द्वारा अब इसके
6 वर्जन लॉच किये गये हैं,
जिसमें सबसे नया है एंड्रॉयड 6.0
मार्शमेलो, इसके अलावा इससे पहले 5.0 लॉलीपॉप, 4.4 किटकैट, जैलीबीन 4.3, आइसक्रीम सैन्डरविच, हनीकाम्बन, जिन्ज र ब्रैड, फ्रोयो एंड्रॉयड आपरेटिंग सिस्टाम लॉच
हो चुके हैं। एंड्रॉयड आपरेटिंग सिस्टनम अपने दिलचस्पज नामों की वजह से भी लोकप्रिय
है। यह सभी वर्जन खाने वाली चीजों के नाम पर रखे गये हैं।
एंड्राइड
एक मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम है जो लिनक्स पर आधारित है। इसका विकास गूगल द्वारा
किया गया है। एंड्राइड का विकास मुख्य रूप से टच स्क्रीन मोबाइल के लये किया गया
है जिसे हम आजकल स्मार्टफोन भी कहते हैं। इसका इस्तेमाल टेबलेट कंप्यूटर में भी
किया जाता है। आजकल एंड्राइड पर आधारित कार, टीवी
कलाई घड़िया भी आ रही है। इस ऑपरेटिंग सिस्टम में सब कुछ टच आधारित है जैसे
वर्चुअल के बोर्ड, स्वीपिंग, टैपिंग, पिंचिंग इत्यादि। इस ऑपरेटिंग सिस्टम में गेम, कैमरा आदि सुविधाये भी बखूबी उपलब्ध
है। एंड्राइड इस समय सबसे अधिक इन्सटाल्ड ऑपरेटिंग सिस्टम है।
क्या
है जो एंड्रॉयड को सबसे अलग बनाता है
एंड्रॉयड
का सबसे बडा गुण जो इसे अन्ये आपरेटिंग सिस्टैम से अलग बनाता है वह है संशोधन यानी
आप एंड्रॉयड में अपनी जरूरत के हिसाब से कोई भी बदलाव कर सकते हो, जिससे प्रोग्रामरों और डेवलपरों को
एंड्रॉयड के लिये एप्लीसकेशन बनाने में जो आसानी होती है, वो और किसी आपरेटिंग सिस्टडम में नहीं
होती। इसी कारण बहुत प्रतिष्ठित कम्पहनियों जैसे नोकिया, ब्लैपकबैरी और एप्पमल को छोडकर अन्यप
सभी कम्पसनियों ने एंड्रॉयड सिस्टसम पर चलने वाले फोन और टेबलेट बाजार में उतार
दिये हैं। जिससे मॅहगे और ब्रान्डेडड फोन के फीचर हर रेन्ज के फोन में उपलब्धद हैं और लगभग 700,000
एप्लीेकेशन, गेम्सड, भी एंड्रॉयड के लिये उपलब्धऔ है।
क्यों
है एंड्रॉयड का जादू लाजवाब-
1.
फोन को जैसा चाहो वैसा बनाओ
अनुकूलन
(Customization) , यानि फोन में अपने हिसाब से बदलाव करने की आजादी एंड्रॉयड की सबसे
बड़ी खासियत है. आप खुद फोन की गहराई में जाकर हर फीचर को अपने हिसाब से सेट करना
चाहते हैं, तो एंड्रॉयड जैसी छूट कोई दूसरा फोन
आपको नहीं देगा. फोन के लॉन्चर से लेकर लुक तक, होमपेज
से लेकर ऐनिमेशन लेवल तक हर चीज आपके मन मुताबिक बनाना यहां संभव है.
2.
गूगल का हमसफर है एंड्रॉयड
गूगल
के बिना आज इंटरनेट की दुनिया के बारे में सोचना भी मुश्किल है. अगर आप मेरी तरह, गूगल के दीवाने हैं तो एंड्रॉयड के
अलावा किसी और फोन के बारे में सोच भी नहीं सकते. गूगल के तमाम ऐपलिकेश्न्स जैसे
सर्च, गूगल मैप, यू-ट्यूब चलते तो तमाम दूसरे फोन्स में
भी हैं, लेकिन एंड्रॉयड में मामला दो शरीर एक
जान जैसे याराना का है. सोचने की बात है कि एंड्रॉयड अगर गूगल का ही बच्चा है तो
कुछ चीजें जरूर ऐसी होगीं जो दूसरों को नहीं मिलेंगी. गूगल मैप खुद में ही अलादीन
का चिराग है और इसके भीतर इतने फीचर छिपे हैं कि आप हैरान रह जाएंगे. एप्पल जैसी
कंपनी ने गूगल मैप को टक्कर देने के लिए अपना मैप बनाने की कोशिश की और आईफोन में
उसे डाला. शिकायतें मिलने पर एप्पल को न सिर्फ अपने यूजर्स से माफी मांगनी पड़ी
बल्कि लौट कर फिर से गूगल मैप की शरण में आना पड़ा.
3. 'Google Now' है करामाती जिन्न
लंबे
समय से स्मार्ट फोन इस्तेमाल करने वालों का सपना था कि उनका फोन उनसे बात करे, उनकी बात सुने और समझे. किसी रोबोट की
तरह नहीं - बल्कि इंसान की तरह, बातचीत
की भाषा में. Google
Now ने इस सपने को साकार कर दिया है. ये वो
जादू है जो बिना पूछे ही समझ जाता है कि किस वक्त आपको क्या जानकारी चाहिए और आपके
सामने हाजिर करता रहता है - ये आपको बता देगा कि जिस रास्ते आप ऑफिस जाने वाले हैं
उसपर इस समय ट्रैफिक कैसा है, घर
से छाता लेकर निकलने की जरूरत है या नहीं और ये भी बताता रहेगा कि जिस फ्लाइट से
आज शाम आपको जाना है उसकी पोजिशन क्या है, वो
सही समय पर आएगी या लेट - और ये सब कुछ बिना पूछे . Google Now सिर्फ एंड्रॉयड 4.1 या उससे ऊपर के वर्जन में उपलब्ध है. हालांकि
गूगल ने इसे अब आईफोन के लिए भी उपलब्ध करा दिया है.
4.
ऐप्स का खजाना
गूगल
प्ले स्टोर में 10,00,000 - यानि दस लाख से ज्यादा ऐप्स हैं और उनकी संख्या लगातार
बढ़ रही है. यूं समझें की अगर आप हर ऐप को डाउनलोड करके पांच मिनट के लिए आजमाना
चाहें तो आपको दस साल से ज्यादा लग जाएंगे. दुनिया में हर तरह की पसंद, हर तरह की जरूरत के लिए ऐप यहां मौजूद
है. अगर आप कोई ऐप खरीदना भी नहीं भी चाहें तो मुफ्त के ही इतने ऐप्स हैं कि आपको
क्रेडिट कार्ड नहीं होने की कमी खलेगी नहीं.
5.
हर बजट के लिए दर्जनों फोन
बजट
कम होना कभी भी एंड्रॉयड फोन खरीदने के रास्ते में रोड़ा नहीं बन सकता. चूंकि गूगल
तमाम फोन कंपनियों को एंड्रॉयड सॉफ्टवेयर मुफ्त में मुहैया कराता है इसलिए
एंड्रॉयड फोन बनाने वाली कंपनियों की भरमार है. सस्ते देसी ब्रांड से लेकर सैमसंग
और एचटीसी जैसे महारथी इस मैदान में हैं और अब तो सुना है कि अपना पुराना जाना
पहचाना नोकिया भी एंड्रॉयड फोन लाने की तैयारी कर चुका है.
लेकिन
एंड्रॉयड के बारे में ये भी जान लें-
1.
सुरक्षा के हिसाब से सबसे कमजोर
एंड्रॉयड
सॉफ्टवेयर 'ओपेन सोर्स' है यानि कोई भी इसके लिए ऐप बना सकता
है. यही बात एंड्रॉयड को सुरक्षा के लिहाज से कमजोर बनाती है. एक नहीं तमाम रिसर्च
में ये बात साफ हो चुकी है कि किसी भी हैकर के लिए एंड्रॉयड फोन को हैक करना किसी
और फोन के मुकाबले आसान है. मालवेयर हो या घटिया नकली ऐप्स, गूगल प्ले स्टोर सबका अड्डा है. ऐप को
बाजार में उतारने के मामले में गूगल का क्वालिटी कंट्रोल अच्छा नहीं कहा जा सकता.
2.
नये पुराने वर्जन का चक्कर
कितना
बुरा लगेगा आपको जब आप अपने गाढ़े पसीने की कमाई से एक नया चमचमाता हुआ फोन खरीद
कर लाएं और आपका दोस्त फोन को हाथ में लेकर कह दे - अरे, ये तो आउटडेटेट है! एंड्रॉयड फोन के
मामले में ये खूब होता है. दरअसल एंड्रायड सॉफ्टवेयर तो गूगल बना कर कंपनियों को
मुहैया कराता है लेकिन हर फोन कंपनी अपने फोन को अलग दिखाने के लिए, उसकी अलग पहचान बनाने के लिए, एंड्रॉयड सॉफ्टवेयर के साथ कुछ बदलाव
करके उसे अपने फोन्स में डालती है. नतीजा ये होता है कि जब गूगल एंड्रॉयड
सॉफ्टवेयर का नया और बेहतर वर्जन लांच करता है तो आप सीधे अपने फोन में इसे
डाउनलोड नहीं कर सकते. आपको इंतजार करना होगा कि आपकी फोन कंपनी आपके फोन के मॉडल
के हिसाब से एंड्रॉयड सॉफ्टवेयर तैयार करके आपको मुहैया कराए. कई बार ये इंतजार
कभी खत्म नहीं होता क्योंकि फोन कंपनिंयां पुराने मॉडल के लिए एंड्रॉयड का नया
वर्जन लाती ही नहीं. Android
Smart Phone Hindi
3.
बैट्री का चक्कर
बैट्री
वैसे तो हर स्मार्ट फोन की दुखती रग है . लेकिन एंड्रॉयड में ये दिक्कत सबसे
ज्यादा है. दरअसल, एंड्रॉयड एक बेहद ही पावरफुल सॉफ्टवेयर
है जिसे मल्टीटास्किंग के लिए बनाया गया है. लेकिन पावरफुल होने का ये भी मतलब है
कि इसे बैट्री की खुराक ज्यादा चाहिए. इसलिए कई बार लोग अपना फोन ज्यादा गर्म होने
की शिकायत भी करते हैं. एंड्रॉयड फोन खरीदते समय बैट्री की पावर पर गौर करना बेहद
जरूरी है वर्ना दिन ढलने से पहले ही आप चार्जर खोजते हुए नजर आएंगे. राहत की बात
सिर्फ ये है कि ज्यादातर एंड्रॉयड फोन में आप नयी बैट्री खरीद कर खुद से बदल सकते हैं.
आईफोन की तरह आपको बैट्री बदलने के लिए भी सर्विस सेंटर जाने की जरूरत नहीं है.
4.
घटिया फोन्स की भरमार
एंड्रॉयड
फोन चूंकि नाम से बिकता है इसलिए हर कोई इस बहती गंगा में हाथ धोना चाहता है. तमाम
कंपनियां इतने सस्ते में फोन बेच रहीं है जिसे देखकर किसी का भी मन ललचा सकता है.
लेकिन मुफ्त के सॉफ्टवेयर और सस्ते चाइनिज माल से तैयार एंड्रॉयड फोन आपके लिए
सिरदर्द भी बन सकता है. कई कंपनियां ऐसी हैं जो एंड्रॉयड की लोकप्रियता को भुनाने
के लिए चीन से थोक के भाव सस्ता फोन मंगाती हैं और अपने नाम का ठप्पा लगा कर बेचती
हैं. अगर ये फोन खराब हो जाएं तो कंपनी का सर्विस सेंटर पूरे शहर में आप खोजते हुए
थक जाएंगें और फोन ठीक होकर मिलने में बीस दिन लगेंगे. ये बातें फोन खरीदने से
पहले सोच लें. जैसा कि हमने पहले बात की, एंड्रॉयड
एक पावरफुल इंजन की तरह है जिसे चलाने के लिए दमदार हार्डवेयर की जरूरत होती है.
इसलिए अगर आपका बजट आठ हजार से कम हो तो एंड्रॉयड के बजाय विंडोज फोन खरीदने की
सोचें.
5.
हैंग और क्रैश होने की मुसीबत
पुराने
होने पर सभी फोन कुछ स्लो हो जाते हैं. लेकिन एंड्रॉयड फोन में पुराना कचरा कुछ इस
तरह जमा होता जाता है कि उससे छुटकारा पाना मुश्किल होता है. आप प्ले स्टोर से
तमाम क्लीनर ऐप आजमाते हैं लेकिन आप देखेंगे कि फोन में वो बात नहीं रही. कभी फोन
हैंग होगा, कभी क्रैश होगा तो कभी इतना स्लो हो
जाएगा कि आपको गुस्सा आएगा. सस्ते कम रैम वाले फोन में ये मुसीबत ज्यादा आती है.
कभी आप देखेगें कि आपने फोन से सारे फोटो, गाने, वीडियो - सब कुछ हटा दिया तब भी फोन Low Memory दिखाता रहेगा और आप कोई नया ऐप डाउनलोड
नहीं कर पाएंगे. बहुत से लोगों को ये बात भी सिरदर्द लग सकती है कि आए दिन फोन में
कोई न कोई ऐप अपडेट होता रहता है और आपके डेटा का बिल बढ़ाता रहता है.
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