विद्वानों अनुसार 'वेद' ही
है हिंदुओं के धर्मग्रंथ। वेदों में दुनिया की हर बातें हैं। वेदों में धर्म,
योग,विज्ञान,
जीवन,
समाज
और ब्रह्मांड की उत्पत्ति, पालन और संहार का विस्तृत उल्लेख है।
वेदों का सार है उपनिषद् और उपनिषदों का सार है गीता। सार का अर्थ होता है
संक्षिप्त।
श्रीमदभगवत गीता
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Four Vedas - Sanskrit text with Hindi commentary by Jaydev Sharma
The Vedas are the most ancient sacred texts of Hinduism. Each of the four Vedas
consists of the metrical Mantra or Samhita' part and the prose 'Brahmana' part
giving discussions and directions for the detail of the ceremonies at which the
Mantras were to be used and explanations of the legends connected with the
Mantras and rituals. Both these portions are termed shruti (which tradition
says to have been heard but not composed or written down by men).
The Rig Veda commentary by Jaydev Sharma was first published in 1930 in 7 volumes along with 2 volumes of Yajur Veda, one volume of Sama Veda & 2 volumes of Atharva Veda. The author has taken care to make his commentary lucid and profound. His commentary is based on the commentaries of ancient sages like Sayana, Skandaswami, Venkatamadhava and also on the modern day sages like Swami Dayanand.
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Rig Ved sanhita Bhasha Bhashya -Jaydev Sharma Vol 1
Rig Ved sanhita Bhasha Bhashya -Jaydev Sharma Vol 2
Rig Ved sanhita Bhasha Bhashya -Jaydev Sharma Vol 3
Rig Ved sanhita Bhasha Bhashya -Jaydev Sharma Vol 4
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Rig Ved sanhita Bhasha Bhashya -Jaydev Sharma Vol 6
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Yajur Vedsanhita BhashaBhashya -JaydevSharma Vol 1
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Rig Veda Sanskrit text & Hindi translation - RG Trivedi
The Rig Veda commentary by Jaydev Sharma was first published in 1930 in 7 volumes along with 2 volumes of Yajur Veda, one volume of Sama Veda & 2 volumes of Atharva Veda. The author has taken care to make his commentary lucid and profound. His commentary is based on the commentaries of ancient sages like Sayana, Skandaswami, Venkatamadhava and also on the modern day sages like Swami Dayanand.
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Vedas in Hindi - संपूर्ण वेद कथा !
परिचय
- वेद दुनिया के लगभग सबसे पुराने लिखित दस्तावेज हैं! वेद ही हिन्दू
धर्म के सर्वोच्च और सर्वोपरि धर्मग्रन्थ हैं! सामान्य भाषा में वेद का अर्थ
है "ज्ञान" ! वस्तुत: ज्ञान वह प्रकाश है जो मनुष्य-मन के अज्ञान-रूपी
अन्धकार को नष्ट कर देता है ! वेदों को इतिहास का ऐसा स्रोत कहा गया है जो पोराणिक
ज्ञान-विज्ञानं का अथाह भंडार है ! वेद शब्द संस्कृत के विद शब्द से निर्मित है
अर्थात इस एक मात्र शब्द में ही सभी प्रकार का ज्ञान समाहित है ! प्राचीन भारतीय
ऋषि जिन्हें मंत्रद्रिष्ट कहा गया है, उन्हें मंत्रो के गूढ़ रहस्यों
को ज्ञान कर, समझ कर, मनन कर उनकी अनुभूति कर उस
ज्ञान को जिन ग्रंथो में संकलित कर संसार के समक्ष प्रस्तुत किया वो प्राचीन
ग्रन्थ "वेद" कहलाये ! एक ऐसी भी मान्यता है कि इनके मन्त्रों को परमेश्वर
ने प्राचीन ऋषियों को अप्रत्यक्ष रूप से सुनाया था! इसलिए वेदों को श्रुति भी कहा
जाता है ।
इस जगत, इस जीवन एवं परमपिता परमेशवर; इन सभी का वास्तविक ज्ञान
"वेद" है!
वेद क्या
हैं?
वेद भारतीय संस्कृति के वे ग्रन्थ हैं, जिनमे ज्योतिष, गणित, विज्ञानं, धर्म, ओषधि, प्रकृति, खगोल शास्त्र आदि लगभग सभी
विषयों से सम्बंधित ज्ञान का भंडार भरा पड़ा है ! वेद हमारी भारतीय संस्कृति की
रीढ़ हैं ! इनमे अनिष्ट से सम्बंधित उपाय तथा जो इच्छा हो उसके अनुसार उसे प्राप्त
करने के उपाय संग्रहीत हैं ! लेकिन जिस प्रकार किसी भी कार्य में महनत लगती है, उसी प्रकार इन रत्न रूपी वेदों
का श्रमपूर्वक अध्यन करके ही इनमे संकलित ज्ञान को मनुष्य प्राप्त कर सकता है !
वेद
मंत्रो का संकलन और वेदों की संख्या
ऐसी मान्यता है की वेद प्रारंभ में एक ही था और उसे पढने के
लिए सुविधानुसार चार भागो में विभग्त कर दिया गया ! ऐसा श्रीमदभागवत
में उल्लेखित एक श्लोक द्वारा ही स्पष्ट होता है ! इन वेदों में हजारों मन्त्र और
रचनाएँ हैं जो एक ही समय में संभवत: नहीं रची गयी होंगी और न ही एक ऋषि द्वारा !
इनकी रचना समय-समय पर ऋषियों द्वारा होती रही और वे एकत्रित होते गए !
१. ऋग्वेद
ऋग्वेद सबसे पहला वेद है। इसमें धरती की भौगोलिक स्थिति, देवताओं के आवाहन के मंत्र हैं। इस वेद में 1028 ऋचाएँ (मंत्र) और 10 मंडल (अध्याय) हैं। ऋग्वेद की ऋचाओं में देवताओं की प्रार्थना, स्तुतियाँ और देवलोक में उनकी स्थिति का वर्णन है। (Click here to read full text)
ऋग्वेद सबसे पहला वेद है। इसमें धरती की भौगोलिक स्थिति, देवताओं के आवाहन के मंत्र हैं। इस वेद में 1028 ऋचाएँ (मंत्र) और 10 मंडल (अध्याय) हैं। ऋग्वेद की ऋचाओं में देवताओं की प्रार्थना, स्तुतियाँ और देवलोक में उनकी स्थिति का वर्णन है। (Click here to read full text)
२. यजुर्वेद
यजुर्वेद में यज्ञ की विधियाँ और यज्ञों में प्रयोग किए जाने वाले मंत्र हैं। यज्ञ के अलावा तत्वज्ञान का वर्णन है। इस वेद की दो शाखाएँ हैं शुक्ल और कृष्ण। 40 अध्यायों में 1975 मंत्र हैं। (Click here to read full text)
३. सामवेद
साम अर्थात रूपांतरण और संगीत। सौम्यता और उपासना। इस वेद में ऋग्वेद की ऋचाओं (मंत्रों) का संगीतमय रूप है। इसमें मूलत: संगीत की उपासना है। इसमें 1875 मंत्र हैं। (Click here to read full text)
४. अथर्ववेद
इस वेद में रहस्यमय विद्याओं के मंत्र हैं, जैसे जादू, चमत्कार, आयुर्वेद आदि। यह वेद सबसे बड़ा है, इसमें 20 अध्यायों में 5687 मंत्र हैं।(Click here to read full text)
Satyarth Prakash (Hindi)
"सत्यार्थ प्रकाश" नामक पुस्तक को
भारत देश की एक महान विभूति स्वामी दयानंद सरस्वती ने लिखा है. इनको आर्य समाज में
विशेष स्थान प्राप्त है बल्कि यह आर्य समाज की रीढ़ है. सत्यार्थ प्रकाश का प्रथम
संस्करण सितम्बर 1875 में छपा था. इसमें कुल 14 समुल्लास हैं. इसकी मूल भाषा हिंदी है.
ऋषि दयानन्द ने सत्यार्थ-प्रकाश को तीन प्रयोजनों से लिखा था – …वैदिक धर्म के प्राचीन मन्तव्यों का प्रचार । वर्तमान समय के हिन्दुओं में जो नई-नई कुरीतियां, दोष आ गये हैं तथा जिनके कारण वैदिक धर्म में विकार से अनेक मत-मतान्तर हो गये हैं उनको दूर किया जाये । उन परकीय सम्प्रदाय व सभ्यताओं का सामना किया जावे जिन्होंने वैदिक आर्य सभ्यता-संस्कृति पर आक्रमण करके भारत में अपना प्रभुत्व जमा रखा है । इस आक्रमण का सामना करते हुए विजय पाना व आक्रान्ता को पराभूत करना इसका एक उद्देश्य है ।
ऋषि दयानन्द ने सत्यार्थ-प्रकाश को तीन प्रयोजनों से लिखा था – …वैदिक धर्म के प्राचीन मन्तव्यों का प्रचार । वर्तमान समय के हिन्दुओं में जो नई-नई कुरीतियां, दोष आ गये हैं तथा जिनके कारण वैदिक धर्म में विकार से अनेक मत-मतान्तर हो गये हैं उनको दूर किया जाये । उन परकीय सम्प्रदाय व सभ्यताओं का सामना किया जावे जिन्होंने वैदिक आर्य सभ्यता-संस्कृति पर आक्रमण करके भारत में अपना प्रभुत्व जमा रखा है । इस आक्रमण का सामना करते हुए विजय पाना व आक्रान्ता को पराभूत करना इसका एक उद्देश्य है ।
ये
सच है की द्यानंद जी के सत्यार्थ प्रकाश से पाखंडी पंडीतों को काफ़ी नुकसान हुआ
...दयानंद जी ने पाखण्डो,
आडंबरों , मूर्ति पूजा के नाम पर अंधविश्वास पर
करारा पारहर किया |
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