क्या सहकर्मियों की आदतें करती हैं परेशान?
वर्कप्लेस पर कई तरह के लोगों के साथ आप काम करते हैं। कुछ ऐसे होते हैं, जो सब जानते हैं, कुछ हर समय नकारात्मक बोलते हैं तो कुछ ऐसे होते हैं, जो निजी बातें ही शेयर करते रहते हैं। हालांकि आपके पास अपने सहकर्मियों को चुनने का विकल्प नहीं होता, पर आप उनकी बाधा पहुंचाने वाली आदतों से बचने का रास्ता जरूर ढूंढ़ सकते हैं।
स्थिति से निपटने के उपाय
ब्रेक लें : यदि काम के बीच में किसी सहकर्मी की हरकतें बाधा पहुंचा रही हैं तो थोड़ी देर के लिए ब्रेक लें। कुछ देर आराम कक्ष में जाना दिमाग को शांत कर देगा। यदि समय-सीमा का मुद्दा नहीं है तो कोई दूसरा काम इस दौरान निपटा लें।
भड़ास निकाल लें: किसी विश्वसनीय मित्र के साथ 15 से 20 मिनट पैदल चलें या उसके साथ दिल की बात शेयर करें। जैसे ही तनाव कम होगा, आप स्थिति को नए तरीके से देखने लगेंगे।
फोकस क्षमता को बढ़ाएं: यदि आपको काम हर हालत में निश्चित समय में पूरा करना है तो दिमाग की फोकस क्षमता बढ़ाने वाली तकनीक अपनाएं, जिससे दिमाग को फालतू बातों से हटाने में मदद मिले। मसलन शोर को दूर रखने वाले ईयर बड्स लगाना या कुछ देर गहरे सांस लेना।
सीधे व्यक्ति से संपर्क करें: यदि कोई भी उपाय काम नहीं आ रहा है तो पूरी विनम्रता के साथ अपनी समस्या को सीधे उस व्यक्ति को बता दें। कुछ ऐसा समाधान भी दे सकते हैं, जिससे दोनों को ही असुविधा न हो।
अंतिम विकल्प: अंतिम विकल्प के तौर पर समस्या को बॉस के पास ले जाने की सोच सकते हैं। हो सकता है, जो समस्या आपकी है, वह दूसरे सहकर्मियों की भी हो।
इन टॉपिक्स से बचें
कितना ही मैत्रीपूर्ण वातावरण क्यों न हो, पर कुछ मुद्दों जिन्हें टैबू टॉपिक्स कहा जाता है, उन पर बात करने से बचें। यदि किसी सहकर्मी ने बात शुरू भी की है तो आप उस बातचीत से बाहर निकलने का प्रयास करें। ये विषय हैं:
वेतन: आपका वेतन आपके और नियोक्ता के बीच की बात है। यह आपकी निजी बात है। उसे सबके बीच बातचीत का मुद्दा न बनाएं।
बीमारियां और संबंधों से जुड़ी समस्या : आपकी सेहत से जुड़ी समस्याएं, दर्द या फिर निजी संबंधों के मसले जैसे प्रेम में असफलता या पारिवारिक मतभेद आपके निजी विषय हैं। कार्यस्थल पर ये बातें न करें।
सेक्स, धर्म और राजनीति: आमतौर पर इन मुद्दों पर साधारण- सी बात बहस का विषय बन कर किसी की निजी भावना को ठेस पहुंचा सकती है। बेहतर होगा कि कार्यस्थल पर इन बातों पर बातचीत करते समय व्यक्तिगत टिप्पणियां न करें।
खुद अपने स्वभाव को देखें
जब भी आप वर्कप्लेस पर आते हैं तो दूसरों के साथ अपने व्यवहार को भी देखें। क्या आप किन्हीं दो सहकर्मियों की बातचीत के बीच में दखल तो नहीं देते? क्या आप सहकर्मियों के साथ बिजनेस मैटर या पर्सनल मुद्दों पर बात तो नहीं करते। क्या आप ही तो हमेशा शिकायत नहीं करते? हमेशा ध्यान रखें, किसी दूसरे की कमियों को देखना हमेशा आसान होता है। कई बार खुद को बदलना समस्या को हल कर देता है।
जब भी आप वर्कप्लेस पर आते हैं तो दूसरों के साथ अपने व्यवहार को भी देखें। क्या आप किन्हीं दो सहकर्मियों की बातचीत के बीच में दखल तो नहीं देते? क्या आप सहकर्मियों के साथ बिजनेस मैटर या पर्सनल मुद्दों पर बात तो नहीं करते। क्या आप ही तो हमेशा शिकायत नहीं करते? हमेशा ध्यान रखें, किसी दूसरे की कमियों को देखना हमेशा आसान होता है। कई बार खुद को बदलना समस्या को हल कर देता है।
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