5/18/12

marriage

आमतौर पर हर व्यक्ती की शादी जीवन में एक बार ही होती है लोग यह कहते हैं कि शादी एक एसा लड्डु है जो खाये वो पछताए और जो ना खाये वो भी पछताए तो कुछ शादी को एक बर्बादी कहते हैं कोई शादी के सपने देखता है, तो कोई शादी से घबराता है शादी हर समाज, हर वर्ग के तबको में होती है और हर कोई इस अनूठे मौके पर आनंद उठाना चाहता है, कोई खाना खाने का तो कोई चुहलबाजी का, और सबसे ज्यादा मजा आता है शादी में दूल्हे या दुलहन को जो की शादी रुपी नाटक का मुख्य किरदार होता है, अब पुरी कहानी मुख्य किरदार के आगे पीछे घुमती है हिन्दुओ में शादी का बहुत ज्यादा ही मह्त्व है और इस दौरान कई सारे रीती रिवाज रस्में होती हैं जिन्हें पूरा किया जाता है, सगाई, बिन्दोली, महिला संगीत या फिर बारात
शादी में हर कोई दुल्हे या दुलहन को लाड लडाता है, कोई लिफाफे, मनपसंद गिफ्ट तो कोई कपडे, गहने आदि देता है नख से लेकर शिख तक का श्रंगार करवाया जाता है, गीत जाये जाते हैं और ना जाने क्या क्या कुल मिला कर ये एक तरह का एसा उत्सव होता है जिसमें हर कोई दुल्हे या दुलहन को ज्यादा से ज्यादा खुशियां देना चाहते हैं तो दुनिया भर के दुल्हे दुलहनों एक हो जाओ और शादी के अधिक से अधिक मजे या आनंद लो क्यो कि एक बार यह सुनहरा समय निकल गया तो कोई पूछने वाला भी नहीं मिलेगा मजे लो शादी के, ये वक्त वापस नहीं आने वाला


शादी का फैसला करें सोच-समझकर
शादी का जिक्र आते ही हर दिल में एक तस्वीर उभरती है और उसके साथ सपनों का जहाँ बसाने का ख्याल भी। बाँवरा मन न जाने किन कल्पनाओं में खो जाता है, लेकिन शादी केवल ख्वाब नहीं, एक हकीकत है। इसलिए इसका फैसला भी सच्चाई के धरातल पर करना पड़ता है।
शादी का एक फैसला आपकी पूरी जिंदगी को प्रभावित करता है। शादी हमेशा उसी से करें जो आपको खुश रख सके। आप लव मैरिज करने की तैयारी में हैं या अरेंज मैरिज करने का मन बना चुके हैं। एक सवाल आपके जेहन में जरूर आता होगा कि क्या आप अपने लाइफ पार्टनर के साथ पूरी जिंदगी सुकून के साथ बिता सकेंगे।शादी के बाद पार्टनर का व्यवहार बदल जाएगा, इस उम्मीद पर जिंदगी का जुआँ कभी न खेलें।
अक्सर पहली नजर के प्यार को लोग शादी का रूप दे देते हैं। पहली नजर का आकर्षण हमेशा लंबे समय तक रिश्ते को कामयाब नहीं रख सकता। ध्यान रखें कि सबकी भावनात्मक जरूरतें अलग-अलग होती हैं। जहाँ पर लड़की चाहती है कि अपने साथी की नजरों में वो सबसे स्पेशल हो, वहीं लड़कों की चाहत बिलकुल अलग होती है इसलिए अपने पार्टनर के साथ अपनी प्राथमिकताओं और विचारों को शेयर करें। हो सकता है कि आप दोनों की सोच एक-दूसरे से न मिलती हो। ऐसे मौकों पर अपनी समान आइडियोलॉजी को शेयर करें।
शादी के बाद पता चलता है कि जल्दबाजी में आपने गलत फैसला ले लिया। दरअसल रिलेशनशिप पार्टनर के कैरेक्टर पर निर्भर करती है। शादी हमेशा विनम्र, भावनात्मक स्तर पर स्थिर और जिम्मेदार व्यक्ति से करना चाहिए। किसी भी रिश्ते को बनाए रखने के लिए भरोसा एवं वफादारी के साथ ईमानदारी की जरूरत भी पड़ती है। कोई भी रिलेशनशिप बनाना जितना आसान होता है, उसे निभाना या कायम रखना उतना ही मुश्किल होता है।
  कई बार जाने-अनजाने एक छोटा-सा गलत कदम आपकी पूरी जिंदगी को तहस-नहस कर सकता है। इसलिए शादी का फैसला करते समय अच्छे से सोच-विचार कर करें, ताकि शादी के बाद आपकी जिंदगी में नए रिश्तों के साथ ढेर सारी खुशियाँ आएँ, मुसीबतें नहीं।     
शादीशुदा जिंदगी खुशियों का खजाना
विवाहित जीवन अपने साथ लाता है ढेर सारी खुशियाँ। ये खुशियाँ न केवल आत्मिक प्रफुल्लता उत्पन्न करती हैं बल्कि एक जादुई संसार की भी रचना करती हैं।
भले ही कुँआरे अपनी-अपनी धमा-चौकड़ी और घूमंतू जीवन को 'खुशियों' का नाम कहकर पुकारें, लेकिन सच यही है कि खुशियों की 'जादुई पुड़िया' तो विवाहितों के पास सुरक्षित है। एक शोध में पाया गया है कि भले ही कम या ज्यादा मात्रा में हो, शादी के बाद व्यक्ति की संतुष्टि के दायरे में इजाफा हो जाता है।  डॉक्टरों व वैज्ञानिकों ने शोध करके यह पता लगाया है कि सेक्स अनेक रोगों की दवा भी है। जहाँ विवाहित जीवन में सेक्स एक-दूजे के बीच सुख, आनंद, अपनापन लाता है, वहीं एक-दूजे के स्वास्थ्य एवं सौंदर्य को भी बनाए रखता है।
 सफल शादी के 10 टिप्स
हर विवाहित व्यक्ति चाहता है कि उसका वैवाहिक जीवन सफल रहें। शादी के बंधन में बंधने से पहले लड़का-लड़की ढ़ेरों कसमें, वादें खाते हैं लेकिन समय के साथ-साथ ये वादे और कसमें कहीं धूमिल हो जाते हैं। सफल शादी के लिए सबसे महत्वपूर्ण पहलू है कि सफल शादी के राज को जाना जाए सफल शादी की कुंजी कुछ और नहीं बल्कि एक-दूसरे का प्यार है। आइए जानें सफल शादी के 10 टिप्स।

1.    आमतौर पर लोग सफल शादी की कुंजी आर्थिक रूप से मजबूत होने को मानते है।  और हां यह  सही भी है। लेकिन ऐसा ज़रूरी नहीं।  सफल शादी का राज वास्तैव में आपस में एक-दूसरे को अधिक से अधिक समय देना  है। पति-पत्नी यदि एक-दूसरे के साथ समय बिताएंगे तो ही वे अधिक से अधिक खुश रह पाएंगे।
2.    शारीरिक अंतरंगता, कैरियर में सफलता ही सफल शादी का राज नहीं बल्कि पति-पत्नी का आपस में एक-दूसरे के प्रति सौहार्दपूर्ण भाव रखना, एक-दूसरे को समझना और आपसी समस्याओं को सुलझाना जरूरी है।
3.    कई बार किन्ही कारणों से पति-पत्नी एक-दूसरे के विपरीत होने और अलग विचार होने के कारण आपस में सौहार्द नहीं बना पाते। शादी के बंधन में बंधने से पहले ऐसी बातों पर उनका ध्यान नहीं जा पाता। ऐसे में जरूरी हो जाता है कि दोनों को एक-दूसरे की सोच और विचारों का सम्मान करते हुए एक दूसरे को समझना।
4.    एक-दूसरे के काम को महत्व देना और उसकी अहमियत समझ उसमें अपनी साझेदारी दिखाना भी सफल शादी की कुंजी है।
5.    सिर्फ जिम्मेदारियां निभाने से शादी सफल नहीं होती बल्कि एक-दूसरे को बाहर ले जाना, कुछ सरप्राइज पार्टी देना, कोई ऐसा काम करना जिससे आपके साथी को खुशी हो, और ऐसा करके भी शादी को सफल बनाया जा सकता है।
6.    सफल शादी का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है कि आप अपने साथी के साथ किसी तीसरे व्यक्ति के सामने दुर्व्यवहार करें बल्कि अकेले में उसे उसकी गलती का अहसास कराएं।
7.    कई बार किसी एक साथी का जरूरत से ज्यादा घर से बाहर रहना या फिर हर समय काम पर फोकस करने से रिश्ते में दरार जाती हैं। ऐसे में रिश्ते को बचाये रखने के लिए जरूरी है कि कम से कम साल में दो-तीन बार चार-पांच दिन के लिए बाहर घूमने का प्रोग्राम बनाएं।
8.    शादी की सफलता का श्रेय दोस्ताना व्यवहार को भी जाता है। आपको अपने साथी के साथ दोस्ताना व्यवहार करना चाहिए तभी आपका साथी अपने मन की बात बेझिझक आपसे कर पाएगा।
9.    शारीरिक सुख रिश्ते में घनिष्ठता लाता है। लेकिन यह जरूरी नहीं कि आप हर समय शारीरिक सुख के बारे में ही सोचते रहें। कई बार शारीरिक सुख से ज्यादा इमोशनल अटैचमेंट भी जरूरी हो जाता है।
10. पति-पत्नी को चाहिए कि वे एक-दूसरे की जरूरतों और उनके अहसास को महसूस कर उसे पूरा करने की कोशिश करें।

इन टिप्स के आधार पर आप अपने वैवाहिक जीवन को सफल बना सकते हैं लेकिन इसके बावजूद आपको कोई बड़ी समस्या घेर लेती है तो जरूरी है कि आप समय से पहले ही कांउसलिंग की मदद लें, जो कि आपके रिश्तों को बचाने में अहम भमिका निभाएगा

जिन्दगी को खूबसूरत बनाने के लिए
विवाहित जीवन में जब दो भिन्न विचारधाराओं के लोग एक-दूसरे के साथ रहते हैं तो उनको छोटी-छोटी बातों को भूलकर अपनी गृहस्थी सँभाले रखनी चाहिए। जीवन का असली सुख तो पति-पत्नी के अपने हाथों में ही है। यदि वे चाहें तो यह सुख वे धैर्य और अपनी समझ से पा सकते हैं। शादी से पहले हर लड़के या लड़की के मन में एक स्वस्थ, सुंदर और रोमांटिक जीवनसाथी की छवि होती है, लेकिन सुंदर होना ही सबकुछ नहीं है बल्कि जीवनसाथी का गुणवान, धैर्यवान और दूरदर्शी होना ज्यादा अहमियत रखता है।
.पति-पत्नी को एक-दूसरे की भावनाओं की कद्र करनी चाहिए। उन्हें एक-दूसरे की खुशी और गम को बराबर शेयर करना चाहिए।
.प्यार को खुलकर दर्शाएँ, जिससे रिश्ते में मजबूती आए।
.अपनी कमियों और भूलों को स्वीकार कर लेना चाहिए, क्योंकि कमी तो हर इंसान में होती है।
.विवाह को सफल बनाने के लिए एक-दूसरे पर अटूट विश्वास करें। किसी की भी बातों में आकर अपना विश्वास न तोड़ दें।
.प्यार और दोस्ती के साथ रहकर जिंदगी को खूबसूरती से जिएँ।
.पति को इस बात का घमंड नहीं होना चाहिए कि मैं कमाता हूँ और मेरी पत्नी आराम से घर में रहती है, क्योंकि पत्नी भी घर-गृहस्थी चलाने के लिए जी-तोड़ मेहनत करती है। और यही सच है, एक अकेला आदमी या औरत न गृहस्थी बसा सकते हैं और न ही चला सकते हैं।
.लड़कियों को मायके की तारीफ नहीं करनी चाहिए, इसे ससुराल वाले अपना अपमान मान सकते हैं।
.पति को ज्यादा व्यस्त न रह कर घर-परिवार के लिए समय जरूर निकालना चाहिए।
.कुछ घरों में पति अपनी पत्नी से असम्मानजनक व्यवहार करते हैं, ऐसा करके वे अपनी पत्नी के दिल में अपने लिए प्यार और समर्पण की जगह नफरत पैदा करते हैं। पत्नी को भी इज्जत देना चाहिए।
.पति-पत्नी का रिश्ता खून का नहीं होता, लेकिन उससे भी बढ़कर होता है। इस रिश्ते में प्यार, समर्पण और विश्वास होता है। इस रिश्ते की डोर बड़ी नाजुक होती है, इसे मजबूती से पकड़ कर रखना चाहिए।


यादगार बनाएं शादी का पहला साल

अरैंज मैरिज करने वालों के लिए शादी का शुरुआती साल किसी इम्तिहान से कम नहीं होता। एक ऐसा इंसान आपके साथ रूम शेयर करता है, जो कुछ महीनों पहले आपके लिए अजनबी था। ये एक साल यदि आपसी समझदारी और प्यार के बूते निकाल लिए जाएं तो आगे की राह आसान हो जाती है। यदि आप भी गृहस्थ जीवन में प्रवेश करने जा रहे हैं तो जानिए कि इस एक साल को कैसे खुशनुमा और यादगार बनाया जा सकता है। 
शादी के बाद लड़के और लड़की दोनों को ही एक बड़े बदलाव के दौर से गुजरना पड़ता है। पार्टनर के साथ तालमेल बनने में कुछ समय लगता है। हनीमून का समय बहुत तेजी से बीत जाता है और फिर शुरू होती है वास्तविक जिंदगी, जिसमें दोनों की भूमिकाएं काफी हद तक बदल जाती हैं। ऐसी स्थिति में कुछ तनाव और परेशानियां भी आती हैं, लेकिन समझदारी से इन पर काबू पाया जा सकता है। देखें शादी के बाद एक साल के समय किन बातों का ध्यान रखना होता है।
शादी का शुरुआती साल सफल वैवाहिक जीवन की मजबूत नींव बन सकता है बशर्ते पति-पत्नी में प्यार और बेहतर आपसी समझ हो। जानिए कैसे गुजारें शादी का पहला साल। 
 सोच को बदलें 
शादी के बाद पति का परिवार ही पत्नी का अपना हो जाता है। ऐसे में पत्नी को अपनी सोच को काफी बदलना पड़ सकता है। परिवार के हर सदस्य के प्रति उसकी भूमिका अहम होती है। पत्नी को पति के दोस्तों खास शुभचिंतकों के बारे में भी जानकारी लेनी चाहिए।
खर्च में कटौती 
पति-पत्नी अपने खर्चों की एक लिस्ट तैयार करें। अच्छे आर्थिक भविष्य के लिए लाइफस्टाइल से जुड़े खर्चों में कटौती करनी चाहिए। बैंक की सावधि जमा योजनाओं में निवेश किया जा सकता है। ध्यान रखें आर्थिक मजबूती भी सफल शादी के लिए बहुत जरूरी है।
काउंसलिंग का सहारा 
यदि पत्नी शादी के काफी समय बाद भी तालमेल नहीं बना पा रही तो गुस्सा होने के बजाय उसकी समस्या को भी समझें। उनसे जानने की कोशिश करें कि वह एडजस्ट क्यों नहीं हो पा रही। हो सके तो इसके लिए काउंसलिंग का सहारा भी ले सकते हैं।
उनका साथ दें 
लड़कों को समझना होगा कि उनकी बैचलर लाइफ खत्म हो चुकी है। पहले की तरह दोस्तों से मिलना शादी के बाद संभव नहीं होता। दोस्तों से मिलना कम करना होगा। घर के माहौल में एडजस्ट करने की कोशिश कर रही पत्नी को आपके साथ की बेहद जरूरत है। 
कम्यूनिकेशन बढ़ाएं 
शादी के बाद लड़कियां अक्सर नए माहौल में एडजस्ट नहीं कर पाती हैं। नई जिम्मेदारियों के कारण लड़की कई बार अवसाद में आ जाती है। यदि आप घर के लोगों से एडजस्ट नहीं हो पा रहे तो आपको खुलकर परिवार के सामने अपनी बात रखनी चाहिए।
क्या कहें 
- मैं तुम्हें प्यार करती हूं/करता हूं।
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 तुम बहुत सुंदर दिखते हो/दिखती हो।
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 मैं तुम्हारी अच्छाइयों और गुणों को पहचानती हूं/पहचानता हूं।
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 तुम एक असाधारण व्यक्तित्व हो।
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 धन्यवाद!
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 क्या तुम इस काम को करने में मदद कर सकते हो/सकती हो।
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 मैं तुम्हारा शुक्रगुजार हूं।
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 मुझे तुम्हारे साथ अधिक से अधिक समय बिताना पसंद है।
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 तुम मेरे लिए सबकुछ हो।
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 तुम बहत शक्तिशाली हो (पति के लिए)।
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 मैं बहुत भाग्यशाली हूं कि मुझे तुम्हारा साथ मिला।
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 मुझे तुम पर गर्व है।
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 मैं तुम्हारी सभी बातें ध्यान से सुनती हूं/सुनता हूं।
क्या न कहें 
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 मैंने तुम्हें पहले भी कहा था।
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 तुम बहुत आलसी हो।
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 तुम मोटे हो/मोटी हो।
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 तुम मोटे होते जा रहे हो/मोटी होती जा रही हो।
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 तुम हमेशा ऐसा करते हो/करती हो।
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 तुम ऐसा कभी नहीं करते/करती।
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 तुम असफल व्यक्ति हो/महिला हो।
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 तुम गलतियां क्यों करते हो/करती हो।
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 तुम मेरी कभी नहीं सुनते।
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 तुम पागल या मूर्ख हो।
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 तुम सनकी हो।
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 तुम गूंगे हो।
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 मैं तुमसे नफरत करती हूं/करता हूं।
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 मुझे नहीं मालूम मैंने तुमसे शादी क्यों की।
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 तुम मेरी सहायता कभी नहीं करते/करतीं।
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 तुम हमेशा टेलीविजन देखते रहते हो/देखती रहती हो।
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 यह शादी मेरे गले की हड्डी बन गई है।
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 तुम्हें मुझसे माफी मांगनी होगी।
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 तुम्हारी तनख्वाह बहुत कम है।
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 तुम बेढंगे हो/बेढंगी हो।
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 तुम घर की सफाई कभी नहीं करते/करतीं।

 देर का विवाह कितना सही कितना गलत
बढ़ती उम्र में विवाह आकर्षण नहीं बल्कि एक दूसरे की आवश्यकता  बन जाता है। पतिपत्नी के इस रिश्ते में प्यार, मनुहार, शारीरिक सौंदर्य का अभाव होता है और आपसी रिश्ते मात्र औपचारिकता बन जाते हैं। हमारे समाज और कानून ने भले ही विवाह के लिए न्यूनतम आयु सीमा निर्धारित की है लेकिन निम्नतम आयु के पश्चात उचित उम्र का निर्धारण करने जैसा महत्वपूर्ण  निर्णय हमारी स्वय का  दायित्व  है। जैसे कम उम्र में विवाह के अनेक दुष्परिणाम सामने आते हैं वैसे ही देर के विवाह से भी अनेक नुकसान हो सकते हैं। परिणय बंधन में बंधने जैसा महत्वपूर्ण कार्य सही समय पर किया जाए तो निश्चित ही जीवन के हर पहलू को शांतिपूर्ण सुखी रूप से गुजारा जा सकता है।
शारीरिक आवश्यकता:
40 वर्ष के बाद महिलाओं में रजोवृति का समय करीब होता है। जीवन को व्यर्थ जाता देख कर, अपने शरीर पर काबू रहने पर महिलाएं चि़डचि़डी हो जाती हैं। एक ठोस मजबूत सहारे की चाह के साथ शारीरिक चाहत भी उन्हें विवाह के लिए प्रेरित करती है। स्त्री जिस शारीरिक संतुष्टि की चाहत को युवावस्था में दबा लेती है वह उम्र बढने के साथ तीव्रतर हो जाती है और स्त्री ग्रंथि के उभरने से सेक्स की इच्छा जाग्रत होती है।
ऎसा ही कुछ पुरूषों के साथ भी होता है। अधे़डावस्था में पुरूष पुन: किशोर हो उठते हैं और वे विवाह जैसी संस्था का सहारा ढूंढ़ते हैं। लेकिन देर से किया गया विवाह तो उन्हे शारीरिक संतुष्टि दे पाता है, साथ ही समय पर विवाह होने से यौन संबंधी रोगों के बढ़ने का खतरा भी बढ़ जाता है।
 समस्याएँ :
बढ़ी  उम्र में विवाह होने पर पतिपत्नी दोनों ही परिपक्व हो चुके होते है। दोनों को एकदूसरे के साथ विचारों में तालमेल बिठाने में कठिनाई होती है। 30 पार की महिलाओं में प्रजनन क्षमता घटने लगती है, अत: देर से विवाह होने पर स्त्री के लिए मां बनना कठिन कष्टदायी होता है। साथ ही एक पूर्ण स्वस्थ शिशु की जन्म की संभावनाओं में कमी आने लगती है। ढ़लती उम्र में जिंदगी जिम्मेदारियों के बोझ तले दबने लगती है और विवाह आनंद का विषय होने के बजाय साथी को ढ़ोना हो जाता है।
यदि अधे़डावस्था में विवाहित पतिपत्नी के पूर्व साथी से बच्चों हैं तो उन दो परिवारों के बच्चों में आपसी मनमुटाव हो जाता है। अधिक उम्र में विवाह होने पर विवाहित दंपत्तियों में असुरक्षा की भावना जाती है। दोनों को एकदूसरे पर भरोसा नहीं होता। असुरक्षा की यह भावना पतिपत्नी में विश्वास के बजाय शक और दूरी पैदा कर देती है।
देर से विवाह करने वाले स्त्रीपुरूषों के प्रति समाज का रवैया भी कुछ संदेहास्पद और मजाक का विषय बन जाता है। समाज में विवाह को युवावस्था की जरूरत माना जाता है की अधे़डावस्था को।
बढती आयु मे विवाह अर्थात  समझौता:
जो युवक -युवती  अपनी युवावस्था मे रिश्तों को नापसंद करने में गुजार देंते है उन्हे बाद में अपनी सभी चाहतों से समझौता करना प़डता है। ढ़लती उम्र में जैसा साथी मिलें उसी में संतोष करना प़डता है। अपनी चाहत या पसंद उम्र के इस प़डाव पर कर कोई मायने नहीं रखती। अधे़डावस्था में विवाह एक आवश्यकता  बन जाती है, जिस के लिए पतिपत्नी को हर कदम पर समझौता करना प़डता है। इस विवाह का उद्देश्य मात्र एक सहारा होता है, जो वास्तव में इस उम्र में शारीरिक अक्षमताओं के कारण से सहारा बनने के बजाय बोझ ही बनता है।
ढ़लती आयु का आभास:
युवावस्था में पतिपत्नी की अठखेलियां, उन का रूठना, मनाना और प्रेमालाप इन प्रौढ़ावस्था के विवाहितों में दूर-दूर तक नजर नहीं आता। युवक की खत्म होती शारीरिक क्षमताएं, पस्त होता रोमाचं और उत्साह, साथ ही नारी के नारीसुलभ आकर्षण का अभाव उन में एक दूसरे से प्यार, लगाव रूचि को खत्म कर देता है। अधे़डावस्था में युवाओं जैसा उत्साह, रोमाचं शारीरिक क्षमता नहीं रहती तब उन का एकमात्र ध्येय अपने अकेलेपन को दूर करना होता है, जिससे जीवन में नीरसता जाती है और दंपत्ति को अपनी ढ़लती उम्र का अहसास सताने लगता है।
अधे़डावस्था के विवाह में उत्साह जोश की कमी के कारण जीवन में आनंद नहीं रहता और वह रिश्ता एक जरूरत और औपचारिकता बन कर रह जाता है। अधे़डावस्था में विवाह होने पर दंपत्ति के पास भविष्य के लिए योजनाएं बनाने का तो समय होता है और ना ही उनमें उनको पूरा करने का शारीरिक सामर्थय होता है। ढ़लती उम्र का अहसास उनके जीवन मे गंभीरता नीरसता भर देता है और परिवार में हंसीमजाक, ल़डना-झग़डना रूठना-मनाना जैसे उत्सवों का कोई नाम नहीं होता।

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