क्या है बीपीओ ?
आम बोलचाल की भाषा में बीपीओ यानी बिजनेस
प्रॉसेस आउटसोर्सिन्ग का मतलब सिर्फ कॉल सेंटर से ही लगाया जाता है। जबकि वास्तव
में बीपीओ में कई तरह की सेवाएं आती हैं, जो एक कंपनी दूसरी कंपनी को आउटसोर्स करती है। बीपीओ सेक्टर में
करियर की संभावनाओं पर एक एक नजर :
बदलते जमाने में कंपनियां भी काफी स्मार्ट हो
गई हैं। हर कंपनी की कोशिश होती है कि अपने काम को कम से कम पैसे में कराया जाए।
इसी के चलते विदेशी कंपनियां अपने काम को भारत में कराना पसंद करती हैं। जाहिर है
यहां उन्हें डॉलर के मुकाबले रुपए में भुगतान करना सस्ता पड़ता है। दरअसल, पहले कंपनियों की मजबूरी होती थी कि
उन्हें अपने यहां के लोगों से ही ज्यादा रुपए में काम कराना पड़ता था, लेकिन आजकल कंप्यूटर, इंटरनेट के युग में यह संभव हो गया है
कि आप अपने काम को कम पैसों में काम करने वाले के पास ट्रांसफर कर सकते हैं।
इंटरनेट की मदद से ब्रिटेन या अमेरिका की कोई
कंपनी अपने काम को भारत की किसी कंपनी के पास बेहद आसानी से ट्रांसफर कर सकती है।
इसके लिए उन्हें दूसरे देश में उस काम को अच्छी तरह से करने वाले लोगों की जरूरत
होती है, जो कि भारत में
आसानी से उपलब्ध हैं। कम रुपयों में काम कराने की चाहत में एक कंपनी द्वारा अपना
किसी दूसरी कंपनी को ट्रांसफर करने की प्रक्रिया को ही बिजनेस प्रॉसेस
आउटसोर्सिन्ग कहा जाता है।
कैसे होती है आउटसोर्सिन्ग
आमतौर पर मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियों द्वारा अपने
काम को आउटसोर्स किया जाता है। ये कंपनियां अपना सप्लाई का काम आउटसोर्स कर देती
हैं और खुद को पूरी तरह मार्केटिंग पर फोकस कर लेती हैं। ज्यादातर कंपनियों द्वारा
दो तरह से आउटसोर्सिन्ग की जाती है। पहली जिसमें ऑफिस के अंदर का बिलिंग और
परचेजिंग जैसा काम आउटसोर्स किया जाता है। जबकि, दूसरी तरह की आउटसोर्सिन्ग में कस्टमर से जुड़ी मार्केटिंग और
टेक्निकल सपोर्ट जैसी सर्विस आउटसोर्स की जाती हैं।
अपना काम आउटसोर्स करने के पीछे कंपनियों का
फंडा न सिर्फ सस्ते में काम कराना होता है, बल्कि वे अपने रिस्क को भी दूसरी कंपनियों को ट्रांसफर कर देती हैं।
हर कंपनी के पास अपने बहुत से काम होते हैं। ऐसे में अगर वह अपने कुछ काम आउटसोर्स
कर दे, तो वह अपनी
प्रॉग्रेस पर ज्यादा अच्छी तरह ध्यान दे पाती है। अगर कोई कंपनी अपना अपने देश से
बाहर की कंपनी को आउटसोर्स करती हैं, तो उसे ऑफशोर आउटसोर्सिन्ग कहा जाता है।
नॉलेज प्रॉसेस आउटसोर्सिन्ग
नॉलेज प्रॉसेस आउटसोर्सिन्ग आज के जमाने का नया
ट्रेंड हैं। इसे बिजनेस प्रॉसेस आउटसोर्सिन्ग का ही एक हिस्सा माना जाता है। दरअसल, विदेशों में टयूटर्स की फीस काफी महंगी
पड़ती है। वहां की कंपनियों ने इस समस्या से निपटने का एक नया तरीका निकाला है।
उन्होंने भारतीय टीचर्स को हायर कर लिया है। ये टीचर विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए
वहां के स्टूडेंट्स को मैथ और साइंस जैसे सब्जेक्ट पढ़ाते हैं। इसी तरह वहां
एडवोकेट, डॉक्टर और
इंजीनियर की सेवाएं लेना भी काफी महंगा पड़ता है।
इसलिए, वहां के क्लाइंट विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भारतीय वकीलों, डॉक्टरों और इंजीनियरों से सलाह लेते
हैं। जाहिर है कि भारतीय प्रफेशनल्स अच्छी इंग्लिश बोलने के साथ-साथ नॉलेज के
मामले में किसी से कम नहीं हैं। इसलिए उनकी विदेशों में काफी डिमांड है। इससे यहां
के प्रफेशनल्स को पार्टटाइम में एक्सट्रा पैसा कमाने का मौका मिल जाता है। इस तरह
बीपीओ के माध्यम से प्रफेशनल्स अपनी नॉलेज को आउटसोर्स करते हैं। भारत में बीपीओ
इंडस्ट्री दिनोंदिन काफी तेजी से ग्रो कर रही है। इस वक्त भारत में करीब एक लाख से
ज्यादा लोग इस इंडस्ट्री से जुड़े हैं।
छोटे शहरों में मिलेंगे मौके
भारतीय बीपीओ इंडस्ट्री में अगले पांच सालों
में पांच गुना बढ़ोत्तरी की उम्मीद है। अभी तक दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु जैसे बड़े शहरों पर
फोकस कर रही बीपीओ कंपनियां अब छोटे शहरों का रुख कर रही हैं। इनमें अहमदाबाद, नागपुर, जयपुर, चंडीगढ़, नासिक और दूसरे शहर शामिल हैं। राज्य
सरकारें भी अपने आपको वर्ल्ड मैप पर स्थापित करने की चाहत में बीपीओ को काफी
सपोर्ट कर रही हैं। बीपीओ के इतने सारे फील्ड्स को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है
कि यह जॉब के भरपूर मौके उपलब्ध हैं।
BPO/KPO
बीपीओ/केपीओ उद्योग ने भारतीय युवाओं के लिए
अवसरों के द्वार खोल दिए हैं. यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसने न केवल हज़ारों लोगों को
नौकरी प्रदान की है बल्कि उन्हें बेहतरीन वेतनमान के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय
वातावरण में काम करने का मौक़ा भी प्रदान किया है. यहाँ बताते चलें कि बीपीओ का
अर्थ है - बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग व केपीओ का मतलब है - नॉलेज प्रोसेस
आउटसोर्सिंग.
ये कम्पनियां भारतीय युवाओं को आकर्षक पैकेज के
साथ नौकरी पर रखकर उनसे विभिन्न देशों में बैठे अपने ग्राहकों के लिए कार्य कराती
हैं. सरल भाषा में कहें तो एक बीपीओ कंपनी अपने विदेशी ग्राहकों को सेवा प्रदान
करने के लिए भारतीय युवाओं को नौकरी पर रखती हैं. ये कम्पनियाँ अपने भारतीय
संसाधनों द्वारा डाटा-एंट्री, मेडिकल ट्रान्सक्रिप्शन, कॉन्टेंट
राइटिंग, एचआर व वित्तीय
सेवा जैसे कार्य कराती हैं.
बीपीओ शब्द जहां इस क्षेत्र में होने वाले सभी
तरह के व्यवसाओं के लिए प्रयुक्त होता है वहीं केपीओ ज्ञान व सूचना आधारित सेवाओं
से जुड़ा होता है व इसके लिए उच्च शिक्षा का होना ज़रूरी है. केपीओ सेवा के कुछ
उदाहरण हैं - कानूनी सेवा, बौद्धिक
सम्पदा एवं पेटेंट से जुडी सेवाएं,
अभियांत्रिकी सेवाएं,
वेब डेवलपमेंट, कैड/कैम
अनुप्रयोग, व्यापार
अनुसंधान एवं विश्लेषण, कानूनी
अनुसन्धान, चिकित्सा
अनुसंधान, प्रकाशन
और विपणन अनुसंधान (मार्केट रिसर्च केपीओ).
चरणबद्ध प्रक्रिया
बीपीओ में कार्य करने के लिए आपको बहुत ज़्यादा
शिक्षित व अनुभवी होने की आवश्यकता नहीं है. आप स्कूल या कॉलेज की पढ़ाई ख़त्म
करने बाद सीधे यहाँ नौकरी पा सकते हैं. यहाँ चुनौती अपने कार्य में ज्यादा तेज़
एवं प्रोफेशनल होने की है. आपको शिफ्ट में काम करने में दिक्कत नहीं होनी चाहिए.
यदि आपमें उत्कृष्ट दर्जे की संवाद क्षमता है तो आप ग्राहक सेवा के क्षेत्र से
शुरूआत कर सकते हैं. यदि आप आईटी में तकनीकी रूप से सक्षम हैं तो आप टेक्नीकल
सपोर्ट प्रोफेशनल जैसे पदों के लिए आवेदन कर सकते हैं.
बीपीओ की अपेक्षा केपीओं में अधिक शिक्षित एवं
योग्य व्यक्तिओं की ज़रुरत होते है. साधारणतः एक बीपीओ में डाटा एंट्री, डाटा प्रोसेसिंग, डिपार्टमेंट आउटसोर्सिंग, टेक्नीकल सपोर्ट एवं ग्राहक सेवा जैसे
कार्य किये जाते हैं जबकि केपीओ में अनुसंधान और विकास, वित्तीय सलाह व सेवाएं, आधुनिक वेब एप्लीकेशन, व्यवसायिक और तकनीकी विश्लेषण, लर्निंग सोल्यूशन, एनीमेशन और डिजाइन, बिजनेस एंड मार्केट रिसर्च, औषधि और जैव तकनीकी, चिकित्सा सेवाएं, राइटिंग एंड कॉन्टेंट डेवेलपमेंट, कानूनी सेवाएं, बौद्धिक सम्पदा अनुसंधान, डाटा विश्लेषण, नेटवर्क मैनेजमेंट तथा प्रशिक्षण एवं
सलाह जैसे विशेषज्ञता वाले क्षेत्रों में काम किया जाता है.अतः केपीओ में जॉब के
लिए आपको क्षेत्र विशेष का ज्ञाता होना चाहिए.
पदार्पण
ऐसे छात्र जिन्होंने अपनी स्कूल की पढ़ाई पूरी
कर ली है तथा पार्ट-टाइम जॉब की तलाश कर रहे हैं, उनके लिए बीपीओ सबसे अच्छा विकल्प है. आप वहां कस्टमर सपोर्ट
एग्जीक्यूटिव, टेक्नीकल
सपोर्ट एग्जीक्यूटिव अथवा प्रोसेस एग्जीक्यूटिव जैसे पदों पर शुरूआत में अपने
जेब-खर्चे के लायक एक अच्छी-खासी सैलेरी प्राप्त कर सकते हैं.
कॉलेज के दिनों से ही बीपीओ ज्वाइन करने पर
आपको अल्पावस्था में ही वास्तविक दुनिया की चुनौतियों से निपटने का साहस एवं समझ
विकसित हो जाती है. वहीं केपीओ में प्रवेश के लिए आपको आगे की पढ़ाई पूरी करनी
होती है. इसके लिए आप अपनी परास्नातक उपाधि भी पूरी कर सकते हैं.
क्या यह मेरे लिए सही करियर है?
जो छात्र चुनौती लेना पसंद करते हैं उनके लिए
बीपीओ सबसे अच्छा विकल्प है. ज्यादा घंटे काम करने के अलावा यहाँ काम को तय वक्त
के भीतर पूरा करने का दबाव भी रहता है. चूंकि यहाँ टाइमिंग्स बहुत ही विषम होती
हैं तो आपको अपनी दिनचर्या की कुर्बानी देने के लिए सदैव तैयार रहना चाहिए. परन्तु
यहाँ विकास की रफ़्तार कई उद्योगों से ज़्यादा है.
रोज़गार के अवसर
आज यूएस और यूके जैसे देश भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान व अन्य एशियाई देशों में जॉब
आउटसोर्स करना पसंद करते हैं जिसकी वजह से बीपीओ/केपीओ में अच्छी संभावनाएं हैं.
यदि आप फ्रेशर हैं तो आप इंटरनेट के द्वारा
विभिन्न जॉब साइट्स पर बीपीओ प्रोसेस जॉब सर्च कर सकते हैं .और यदि आप आईटी अथवा
किसी अन्य क्षेत्र के अनुभवी व्यक्ति हैं और बीपीओ/केपीओ ज्वाइन करना चाहते हैं तो
आपके लिए इन विभागों में अवसर हो सकते हैं- ऑपरेशंस मैनेजमेंट, कॉन्टेंट मैनेजमेंट, रिसर्च एंड एनालिटिक्स, कानूनी सेवाएं, प्रशिक्षण एवं परामर्श तथा डाटा
एनालिटिक्स इत्यादि.
वेतनमान
बीपीओ कर्मचारी का शुरूआती वेतन 7000 से 20000
रूपये मासिक तक हो सकता है. काम की जटिलता एवं शिफ्ट को देखकर ही इस क्षेत्र में
वेतन तय किया जाता है. फिर भी एक बात तो तय है की इस क्षेत्र में करियर बहुत तेज़ी
से आगे बढ़ता है. यहाँ आप बहुत ही थोड़े समय के पश्चात ही एक टीम या एक समूह को
नेतृत्व भी प्रदान कर सकते हैं. इसके लिए केवल एक चीज़ की आवश्यकता होती है वह है
अच्छा प्रदर्शन.
यदि आप जॉब के साथ विदेश जाने का मौका प्राप्त
करना चाहते हैं तो आपको अपनी शिक्षा पूरी करके केपीओ में आवेदन करना चाहिए. वहीं
बीपीओ में विदेश जाने के बहुत कम अवसर होते हैं.
मांग एवं आपूर्ति
बीपीओ कर्मचारियों की मांग हमेशा बनी रहती है.
उदाहरण के तौर पर, यूएस
व यूके के प्रकाशकों के काम के लिए कम्पनियां डाटा एंट्री ऑपरेटर, शिपमेंट एग्जीक्यूटिव, वेब डिज़ाईनर और ग्राफिक डिज़ाईनर को
नौकरी पर रखती हैं जिसके लिए साधारणतः डिप्लोमा अथवा मल्टीमीडिया में सर्टिफिकेट
कोर्स की आवश्यकता होती है. कम्प्यूटर साइंस में इंजीनीयरिंग की डिग्री न होने के
बावजूद भी आपको बीपीओ में नौकरी मिल सकती है. अतः इस क्षेत्र में आपूर्ति मांग के
लगभग अनुरूप ही है.
दूसरी तरफ केपीओ में जॉब के लिए आपको उच्च
शिक्षित होना पड़ेगा.इस क्षेत्र में मांग अधिक है परन्तु आपूर्ति कम है चूंकि उच्च
शिक्षा प्राप्त व्यक्तियों की देश में कमी है.
मार्केट वॉच
सम्पूर्ण विश्व में बाज़ार का वैश्वीकरण होने
के कारण कम से कम आगे आने वाले दस वर्षों में तो इस क्षेत्र की विकास की रफ़्तार
कम होने वाली नहीं है. इसकी वजह से आज घर से काम करने के कई विकल्प मौजूद हैं.
अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शन
एशियाई देशों में श्रम की कीमत कम होने की वजह
से प्रकाशन, सूचना तकनीक, ज्ञान प्रबंधन, वित्तीय एवं कानूनी सेवा प्रदान करने
वाली विश्व की चोटी की कम्पनियाँ इन देशों को जॉब आउटसोर्स कर रही हैं. ऐसे में
ऐसे युवा जो गाँव से शहर में काम की तलाश में आते हैं, उनके लिए इस क्षेत्र ने अवसरों के
द्वार खोल दिए हैं. परिणामस्वरूप,
युवा न केवल खुद अपने पैरों पर खड़े होकर चीज़ों को आर्थिक द्रष्टि
से देखने लगे हैं बल्कि अपने परिवारों को भी आर्थिक सहायता प्रदान करने लगे हैं.अब
तो एशियाई देश जैसे जापान और कोरिया भी भारत में जॉब आउट सोर्स करने लगे हैं.
सकारात्मक/नकारात्मक पहलू
सकारात्मक
1.इस क्षेत्र में अवसर कई हैं. बीपीओ में प्रवेश करने के लिए आपके पास
विकल्पों की कमी नहीं है.
2.इस क्षेत्र के विकास ने एसिया के कई देशों में विकास की रफ़्तार तेज़ कर दी
है .
3.वर्षों को गरीबी में रहने वाले कई परिवारों की रोजी-रोटी का इंतजाम इस
क्षेत्र ने किया है.
नकारात्मक
1.बीपीओ/केपीओ में काम का दबाव बहुत अधिक होता है. कई व्यक्तियों के
निद्रा-चक्र में गड़बड़ी होने की वजह से चिकित्सकीय मार्गदर्शन की ज़रुरत पड़ जाती
है.
2.अपेक्षाकृत कम लचीले टाइमिंग्स व कार्य की मात्रा को देखते हुए वेतनमान कम
होता है. जिससे कर्मचारी कई बार शोषित महसूस करते हैं.
3.देश में अभी तक बीपीओ/केपीओ के लिए कोई क़ानून न होने वजह से कर्मचारी की
प्रतिष्ठा और आत्म-सम्मान को कम्पनियां ताक पर रख देती हैं .यहाँ हमेशा जॉब जाने
का ख़तरा बना रहता है जिससे व्यक्ति का करियर अस्थिर हो जाता है.
भूमिका और पदनाम
केपीओ प्राथमिक तौर पर बीपीओ का ही एक अंग है
परन्तु इसके लिए उच्च शैक्षिक प्रष्ठभूमि की आवश्यकता के चलते इसको अलग से
वर्गीकृत किया जाने लगा है. दोनों क्षेत्रों के कार्य उनकी जटिलता, वेतन और प्रकृति के अनुसार भिन्न होते
हैं.
अग्रणी कंपनिया
सूचना तकनीक क्षेत्र की उद्योग नियामक संस्था
नास्कॉम के अनुसार, टॉप-10
बीपीओ कम्पनियां क्रमानुसार है- जेनपैक्ट, डब्ल्यूएनएस ग्लोबल,
आईबीएम दक्ष, आदित्य
बिरला मिनेक्स वर्ल्डवाइड, टीसीएस
बीपीओ, विप्रो बीपीओ, फर्स्ट सोर्स, इनफ़ोसिस
बीपीओ, एचसीएल बीपीओ
तथा ईएक्सएल सर्विस होल्डिंग.
रोज़गार प्राप्त करने के लिए कुछ
सुझाव
किसी आउटसोर्सिंग कम्पनी में नौकरी पाने के लिए
निम्न बातों को ध्यान में रखना ज़रूरी है:
1.बिना झिझक के दिन-रात तथा लम्बे वर्किंग
आवर्स में काम करने के लिए हमेशा तैयार रहे.
2.पहले कुछ वर्षों में अपना सारा ध्यान एक स्तर
उठकर टीम-लीडर बनने पर लगायें तथा उसके बाद ऑपरेशन मैनेजर बनने के लिए कोशिश करें.
ऑपरेशंस मैनेजर बनने के पश्चात किसी दूसरी कंपनी में बेहतर अवसरों को तलाशें.
3.शुरूआत में 9000 से 12000 वेतन पर ज्वाइन कर
लें तथा इसके बाद आगे बढें.
4.यदि आप उच्च शिक्षित हैं तथा उत्कृष्ट दर्जे
की संवाद क्षमता रखते हैं तो आप ज़्यादा वेतन की मांग भी कर सकते हैं. परन्तु यदि
आप बहुत ही कम वेतन पर ज्वाइन करते हैं तो आप शोषण का शिकार भी हो सकते हैं.
जॉब प्रोस्प्रैक्ट्स
1.कस्टमर सपोर्ट सर्विस
कस्टमर सपोर्ट सर्विस के रूप में कार्य रहे
पेशेवरों को कस्टमर से जुड़ी चीजों और उनके द्वारा पूछे गए प्रश्नों आदि का जवाब
देना होता है। यह काम कई चैनलों में होता है, टेलीफोन कॉलिंग, ई-मेल
आदि।
2. टेक्निकल सपोर्ट सर्विस
इस एरिया से जुड़े पेशेवर टेक्निकल सपोर्ट, जैसे-ओईएम कस्टमर सॉल्युशन, कम्प्यूटर हॉर्डवेयर, सॉफ्टवेयर, इंटरनेट इंफ्रास्ट्रक्चर
मैन्युफैक्चरिंग आदि के लिए टेक्निकल सपोर्ट मुहैया कराते हैं।
3. टेलिमार्केटिंग सर्विस
टेलिमार्केटिंग और टेलिसेल्स आउटसोर्सिंग सर्विस
से जुड़े लोग टारगेट कस्टमर से बातचीत कर प्रोडक्ट की सेलिंग की दिशा में काम करते
हैं।
4. आईटी हेल्पडेस्ट सर्विस
इस सर्विस से जुड़े लोग तकनीकी समस्या (डेक्सटॉप, नोटबुक, कनेक्टिविटी, आईटी
ऑपरेशन इश्यू आदि) को सुलझाने का काम करते हैं।
5. इंश्योरेंस प्रोसेसिंग
इस क्षेत्र से जुड़े पेशेवर इंश्योरेंस से जुड़ी
समस्याओं का सॉल्युशन देते है, जैसे
अधिग्रहण, पॉलिसी
मेंटीनेंस, क्लेम
आदि।
6. डाटा एंट्री/डाटा प्रोसेसिंग सर्विस
इसमें बिजनेस ट्रांजिक्शन डाटा एंट्री(सेल्स, परचेज, पेरोल), ई-बुक
की डाटा एंट्री, डाटा
कलेक्शन, पेपर/ बुक से
डाटा एंट्री आदि जैसे काम होते हैं।
7. डाटा कन्वर्सशन सर्विस
इसके अंतर्गत डाटा को अलग-अलग फॉर्मेट में
तब्दील करना होता है, जैसे
पेज मेकर से पीडीएफ, एमएस
वर्ड से एचटीएमएल, टेक्स्ट
से वर्ड फॉर्मेट आदि। इसके अलावा,
अकाउंटिंग सर्विस,
प्रोसेसिंग सर्विस,
इंटरनेट, ऑनलाइन, वेब रिसर्च आदि में जॉब की संभावनाएं
हैं।
कुछ कंपनिया
1. जेनपैक्ट
2. डब्ल्यू एनएस ग्लोबल सर्विस
3. विप्रो बीपीओ
4. एचसीएल बीपीओ
5. आईसीआईसीआई वनसोर्स
6. आईबीएम दक्ष
7. इंफोसिस बीपीओ
8. एजिस बीपीओ सर्विस लि.
9. ईएक्सएल सर्विस
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