9/25/11

प्यार-love

इंसानी फितरत है की वह प्यार पाना चाहता है,प्यार देना चाहता है.आज प्यार की भावना से कोई इंकार नहीं कर सकता.बिना प्यार के इस सृष्टि की कल्पना ही नहीं की जा सकती.सच तो यह है कि इस सृष्टि का स्थायित्व प्यार पर निर्भर करता है.जिस दिन दुनिया से प्यार ख़त्म हो जायेगा,दुनिया भी ख़त्म हो जाएगी.
दुनिया का हर दिल किसी न किसी के लिए धड़कता है,किसी न किसी से प्यार करता है.कुछ लोग इसका इज़हार करते हैं,तो कुछ इज़हार नहीं कर पाते.कुछ लोग खुशनसीब होते हैं अपना प्यार इसी जनम में पा जाते हैं,कुछ अगले जनम में मिलने की कामना करते ही रह जाते हैं.प्यार की राह में ज़माने भर की दुश्वारियां होती हैं.धर्म,जाति,गोत्र,अमीर-गरीब जैसी तमाम दीवारें प्यार करने वालों के सामने खड़ी रहती हैं.बहरहाल प्यार का अंजाम चाहे जो हो इन्सान प्यार करता है.
प्यार का अर्थ 
आज के दौर में लोग प्यार को समझने में भूल कर रहे हैं.विशेष रूप से किशोर व युवा पीढ़ी के लिए प्यार का अर्थ काफी बदला है.आज स्त्री-पुरुष संबंधों को ही प्यार समझ लिया गया है.हालाँकि यह सच नहीं है.प्यार का ताल्लुक जिस्म से नहीं आत्मा से है.प्यार छुआ नहीं जा सकता,सिर्फ महसूस किया जा सकता.आज आये दिन वहशी प्रेमियों की ख़बरें आती हैं,जो एकतरफा प्रेम को अपने साथी पर जबरदस्ती थोपने की कोशिश करते हैं और अपने इरादा में नाकाम होने पर अपनी गर्लफ्रेंड के प्रति क्रूरता पर उतर आते हैं.यह पागलपन तेजाब फेंकने से लेकर जान लेने तक के रूप में देखने को मिलता है.ऐसे लोग प्यार को कलंकित करने वाले हैं.यह प्यार की भावना,उसके मर्म से अनजान अपने स्वार्थ की दुनिया में जीते हैं.यह लोग जानते ही नहीं की प्यार है क्या?
प्यार हो जाता है
प्यार के बारे में कहा जाता है कि प्यार किया नहीं जाता,हो जाता है.प्यार के बारे में यही सच है.प्यार जोर-ज़बरदस्ती से नहीं होता.अपने आप हो जाता है और जब हो जाता है तो इसका नशा उतरता नहीं.इस सच्चाई को स्वीकारने की ज़रूरत है.डरा-धमकाकर या पैसे से प्यार हासिल नहीं किया जा सकता.इन तरीकों से यदि कुछ हासिल होता है तो रुसवाई,बदनामी और कई बार जेल.यदि किसी ने आपके प्रेम को समझा नहीं तो इसका अर्थ कदापि यह नहीं की आप उसे प्यार करने पर मजबूर करें.यह ठीक है कि वह आप से प्यार नहीं करता,पर आप तो उससे प्यार करते हैं.फिर उसे मुसीबत में कैसे डाल सकते हैं.यदि आप ऐसा करते हैं तो यही माना जायेगा आपने उससे प्यार नहीं,कुछ और किया था.
प्यार क्या चाहता है!
प्यार है क्या और चाहता क्या है,इसे समझने कि ज़रूरत है.यदि माँ के प्यार को हम गहराई से महसूस करें तो आसानी से समझ सकते हैं कि प्यार है क्या और हमसे चाहता क्या है.माँ अपने बच्चे के लिए क्या करती है!पहले तो उसे नौ माह अपने पेट में रखती है.दिन-रात उसकी सुरक्षा के प्रति सचेत रहती है और अपने खून से उसे सींचती है.फिर असहनीय दर्द सह कर बच्चे को जन्म देती है.माँ की भूमिका का अंत यहीं नहीं होता.दरअसल इसके बाद ही उसकी ममता का,उसके प्यार का असल रूप दिखाई देता है.बिना कहे वह बच्चे की ज़रूरतें समझ लेती है.दिन-रात उसकी सेवा करती है.खुद तकलीफ उठा लेती है,उसे सुख पहुंचाती है.वह न दिन में चैन की साँस लेती है और न रात में आराम करती है.सच तो यह है की वह पल-पल उसी के लिए जीती है और उसी के लिए मरती है.उसकी ज़िन्दगी का मकसद सिर्फ बच्चे को सुखी रखना,उसे मुस्कराते हुए देखना होता है.उसकी खिलखिलाहट में ही उसके दिल का चैन-सुकून होता है.बच्चे के चेहरे की चमक के लिए माँ हर त्याग करती है.लेकिन उसे कष्ट नहीं होने देती.दुर्भाग्यवश यदि उसके बच्चे को कष्ट पहुँचता है तो वह तड़प उठती है.प्यार यही है,प्यार हम से त्याग चाहता है ,सुरक्षा चाहता है.प्यार हमसे मुसीबत की धूप में छाया चाहता है,परीक्षा के लम्हों में सपोर्ट चाहता है.
विचारणीय है क्या हम प्यार में ऐसा ही करते हैं.अपने साथी से कुछ पाने की अपेक्षा उसे देने में विश्वास करते है.क्या हम उसे उसकी कमियों के साथ स्वीकारते हैं या उसे अपनी अपेक्षा के अनुसार ढलने पर मजबूर करते हैं.ऐसा है तो प्यार है या नहीं इस पर विचार करने की ज़रूरत है.वास्तव में प्यार अपने साथी को उसकी खामियों के साथ स्वीकारने का नाम है.यदि साथी में कोई खामी है तो प्यार उसपर पर्दा बन जाता है.उसे चर्चा का विषय नहीं बनाता.
प्यार हुकूमत नहीं.
हम जिससे प्यार करते हैं,उससे यह अपेक्षा न रखें कि वह हमारी ऊँगली पर नाचेगा.वह भी एक स्वतंत्र सोच रखता है,व्यक्तित्व रखता है.उसकी अपनी भावनाएं हैं.वह कुछ आप से अलग होगा.आपसे कुछ अलग सोचेगा.यदि आप यह सोचने लगे कि वह आपके इशारे पर नहीं नाच रहा है,इसका मतलब वह आपसे प्यार नहीं करता,तो यह गलत है.प्यार साथी की भावनाओं का आदर करने को वरीयता देता है.यदि रिश्तों में इसका अभाव है तो समझिये की आप उससे प्यार नहीं करते,उससे पर राज करना चाहते हैं.यदि ऐसा है,तो फिर प्यार कहाँ है.
अंत में
यहाँ जो भी बातें कही गयी हैं,एक पक्ष के लिए नहीं हैं.यह बातें दोनों में होनी चाहिएं.अगर दोनों ही पक्ष एक-दूसरे को अपनी ज़रूरतों,ख्वाहिशों,भावनाओं पर वरीयता देते हैं तो प्यार की सफलता में कोई शक नहीं.प्यार में बस देने की ख्वाहिश होनी चाहिए पाने की नहीं,प्यार की सफलता इसी भावना में निहित है.

पति पत्नी के प्यार 
शादी जैसे पवित्रतम बंधन की नींव हमेशा प्यार, विश्वास, देखभाल और आदर पर टिकी होती है। अगर इनमें से कोई भी एक चीज गायब है तो समझिए कुछ गलत जरूर है और सही करने की तत्‍काल जरूरत हैा जिसे आप प्यार करते हैं, उसे संपूर्णता के साथ स्वीकारें। उसकी अच्छाइयों को अपना लेना और कमियों का चुन-चुन कर सुबह-शाम गिनाते फिरना, आपके प्यार के लिए बिल्कुल अच्छा नहीं है। जो है, जैसा है, उसको भर दीजिए प्यार से। संपूर्णता में प्यार करें। कमियों को कमियों की तरह लेना ही छोड़ दें। क्योंकि कोई भी परफेक्ट नहीं हो सकता। कुछ कमियां तो आपमें भी होंगी। बहस के दौरान आप एक-दूसरे का तर्क नहीं सुनते। पति पत्नी के प्यार में शिक्षा से ज्यादा समझदारी कारगर होता है। इसका मतलब यह नहीं है कि आपसी प्रेम में शिक्षा को कोई महत्व नहीं होता, पर समझदारी दोनों ही स्थिति में जरूरी है।जहां तक हो सके छोटी-छोटी बातों को नजर अंदाज करें। साथ ही जिस बात से आपके साथी को गुस्सा आता है उस काम को न करने में ही भलाई है।रिश्तों में अहम को बीच में न लाएं। यदि आपका साथी आपसे बात नहीं कर रहा तो आप अपनी तरफ से पहल करें। आपकी बढ़ाया एक कदम आपके रिश्तों को नया जीवन दे सकता है।

 किशोरावस्था का प्यार कितना सच्चा ?

रिश्तों का चक्र इस दुनिया में हमारे आगमन के साथ ही शुरू हो जाता है। सभी रिश्ते हमारे लिए महत्पूर्ण होते हैं और उनका अपना-अपना महत्व होता है। लेकिन प्यार एक ऎसा रिश्ता होता है जिसे हम स्वयं चुनते हैं। प्यार की उमंगे किशोरावस्था की दहलीज पर कदम रखते ही अंगडाई लेने लग जाती है। यह वह अवस्था है जिसके दौरान शरीर और हार्मोन्स में परिवर्तन होता है। इसके कारण किशोरवास्था में ऑपोजिट सेक्स के प्रति रूझान बढ जाता है। आपको उसका साथ अच्छा लगने लगता है।  किशोरावस्था में इतनी समझ नहीं होती कि आपके लिए कौन और क्या सही है और क्या गलत। आपके रिश्ते में प्यार है या सिर्फ आकर्षण मात्र। पहले अपने रिश्ते को समझें फिर कोई कदम उठाएं।

प्यार क्या है?
प्यार जब हो जाए तो चैन नहीं, ना हो तो बेचैनी, हो गया तो समझना मुश्किल, ना हो तो जीना मुश्किल। समझ जाएं तो कहना मुश्किल, और कह दें तो जवाब का अनजाना डर। आखिर करें तो क्या करें? आइए जानें प्यार क्या होता है, कैसे होता है और कब होता है। प्यार के कुछ और लक्षण खास आपके लिए :


* एक दिन वह दिखाई न दे तो आपके दिल में अनेक अशुभ बातें आने लगें। दिल बुरी तरह से घबराने लगे। 

* उसके बिना जिंदगी नीरस, फालतू, बकवास या आधी-अधूरी लगने लगे।
 

* किसी को फोन करते समय भूल से उसका मोबाइल नंबर डायल कर दें।
 

* मोबाइल की घंटी बजने या मिस कॉल आने पर ऐसा लगे उसने ही कॉल किया होगा।
 

* फोन पर घंटों बातें करने के बावजूद दिल न माने और बातें करने की इच्छा बनी रहे।
 

* रोमांटिक फिल्म में हीरो की जगह स्वयं को व हीरोइन की जगह उसके होने की कल्पना करने लगें।
 

* आपको भूख कम लगने लगे या खाने-पीने की सुध न रहे।
 

* पत्र-पत्रिकाओं में राजनीति, सामाजिक, करियर आदि की खबरों को छोड़कर फैशन, फिटनेस, ब्यूटी टिप्स, माई फस्ट लव, लव टिप्स आदि आप पढ़ना पसंद करने लगें।
 

* अखबार में पहले उसकी, फिर अपनी राशि देखें।
 

* आपको अपना डेट ऑफ बर्थ भले याद नहीं हो लेकिन उसके डेट ऑफ बर्थ से लेकर उसके पूरे फैमिली का बायोडाटा जबानी याद हो।
 
* गजलें और दर्द भरे गीत आप बड़े ध्यान से सुनने लगें। दूसरों को भी ऐसे गीत सुनने की सलाह देने लगें। गजल, शेरो-शायरी पर लंबा लेक्चर देने लगें। मानो उसके बारे में आपको बड़ा नॉलेज है। 

* खुद में जादू की शक्ति संचार हो जाने की कल्पना करें। आपको ऐसा लगने लगे कि आप खुद गायब होकर कुछ ही पलों में कहीं से कहीं पहुँच सकते हैं।
 

* अपने कम्प्यूटर के पासवर्ड में उसके नाम का कोड रखें।
 

* जब भी वह उठकर कहीं जाए (बाथरूम भी) तो आपकी निगाहें उसका पीछा करती रहें।
 

* उसके पालतू कुत्ते, बिल्ली को भी चूमने का आपका मन करने लगे।
 

* आपके पास कैमरा होने पर उसकी ढेर सारी तस्वीरें उतारने का दिल करे।
 

* जब वह किसी लड़के/ लड़की के साथ बात करे तो आपको ईर्ष्या होने लगे। उस लड़के/ लड़की का गला घोंट देने की इच्छा होने लगे।



source:internet

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